: भोजपुरी सिनेमा का पचासवां साल : अब तक नहीं मिला असली मुकाम : भोजपुरी सिनेमा अब 50 साल का प्रौढ़ होने वाला है, लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर भी इसमें प्रौढ़ावस्था वाली गंभीरता नहीं दिख रही है. जैसे-जैसे इसकी उम्र बढ़ी है, लड़कपन बढ़ता गया है.
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भोजपुरिया जनता ने कहा निरहुआ सर्वश्रेष्ठ
: भोजपुरी सिनेमा पर अब तक का सबसे बड़ा जन सर्वेक्षण : भोजपुरी सिनेमा 50 सालों का सफर पूरा कर चुका है. इस लंबी पारी में अब तक लगभग 475 फिल्में प्रदर्शित हो चुकी हैं. बदलते वक्त के साथ-साथ भोजपुरी फिल्मों का मिजाज भी लगातार बदल रहा है. यह बदलाव कितना सकारात्मक है और कितना नकारात्मक और इसमें अपने-अपने क्षेत्र में किन लोगों ने सबसे श्रेष्ठ काम किया है.
भोजपुरी सिनेमा को नहीं मिल रहा उसका हक
: द संडे इंडियन और आईसीएमआर ने किया भोजपुरी सिनेमा पर सर्वे : भारतीय सिनेमा के क्षितिज पर भोजपुरी सिनेमा का उदय हुए 50 साल गुजर गये. पर आज भी भोजपुरी सिनेमा कई प्रकार के संघर्षों के दौर से गुजर रहा है. भोजपुरी में दर्शक हैं, यानी बाजार है. एक बड़ा बाजार. कई राज्यों में फैला हुआ. कई देशों में पसरा हुआ. बिहार-यूपी को छोड़िये, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और गुवाहाटी से लेकर पंजाब तक भोजपुरी फिल्मों के दर्शक हैं. भारत के अलावा नेपाल, मॉरीशस, नीदरलैंड्स, फिजी, सूरीनाम, गुयाना आदि देशों में भी पर्याप्त दर्शक हैं. इतना बड़ा बाजार भोजपुरी के अलावा केवल हिंदी का है.