महिला पत्रकार के भाइयों को बचाने में पंजाब केसरी की फजीहत

पंजाब केसरी जालंधर प्रबंधन ने अपनी एक महिला पत्रकार के भाइयों को कानून के फंदे से बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। बताया जा रहा है कि पंजाब केसरी अम्बाला में कार्यरत एक महिला पत्रकार के दो भाइयों के खिलाफ पुलिस ने किसी और के एटीएम से चार लाख से ज्‍यादा लाख रुपए निकालने के आरोप में केस दर्ज किया था।

पंजाब केसरी के रिपोर्टर कुलदीप को मिली सच लिखने की सजा

सिरसा। सच को छापने के लिए केवल जोश का होना ही नहीं पावर का होना भी जरूरी है। पंजाब केसरी सिरसा में कार्य करने वाले एक युवा पत्रकार को शायद यह बात तब समझ आई होगी जब उसने एक खबर को छापने की हिमाकत तो की लेकिन अपने जिला प्रभारी व प्रबंधकों के पावर तले दबकर उसकी वह खबर रह गई। बाद में उसे मानसिक रूप से ऐसा प्रताडि़त किया गया कि वह खुद-ब-खुद अखबार छोड़कर चला गया।

पंजाब केसरी के ब्‍यूरो प्रभारी को जान से मारने की धमकी

काशीपुर मीडिया सेंटर के अध्यक्ष व पंजाब केसरी के स्थानीय ब्यूरो प्रभारी दिलप्रीत सिंह सेठी को एक व्यक्ति ने मोबाइल से फोन कर दो दिन के अंदर जान से मार दिए जाने की धमकी है। इस धमकी के बाद पत्रकारों में रोष व्याप्त है। मामले से पुलिस को अवगत करा दिया गया है। शुक्रवार को काशीपुर मीडिया सेंटर के अध्यक्ष दिलप्रीत सिंह सेठी रोजना की भांति अपने कार्यालय में बैठे समाचार लिख रहे थे कि तभी मोबाइल नम्‍बर 8273371300 से उन्हें फोन आया।

पंजाब केसरी के ब्‍यूरोचीफ बने सुखवीर, मुग्‍धा एवं कीर्ति का सहारा से इस्‍तीफा

दैनिक भास्‍कर, हिसार से सुखवीर मोटू ने इस्‍तीफा दे दिया है. वे यहां पर सीनियर क्राइम रिपोर्टर थे. इन्‍होंने अपनी नई पारी पंजाब केसरी,‍‍ हिसार से शुरू की है. इन्‍हें हिसार का ब्‍यूरोचीफ बनाया गया है. वे अखबार की जिम्‍मेदारी संभालेंगे. सुखवीर के बाद भास्‍कर के कुछ और लोगों के पंजाब केसरी से जुड़ने की चर्चा है.

हे महान संपादक अश्विनी कुमार महज कोरे उपदेश मत दो!

दीपक आजादअश्विनी कुमार संभवतः इकलौते ऐसे संपादक हैं जो अपने संपादकीय में हर सुबह शायरी और कविताओं के जरिये तल्खी के साथ उपदेशक की भूमिका में अपने पाठकों के बीच हाजिर होते हैं, पर उनके पंजाब केसरी का रंग-ढंग कम चौंकाने वाला नहीं है। शायद यह पंजाब केसरी में ही हो सकता है कि एक पत्रकार जो पूरे एक दशक से केसरी का चेहरा हो, लेकिन उसका ही अखबार उसे पहचानता तक न हो। उत्तराखंड में पंजाब केसरी को ढो रहे एक पत्रकार की कहानी हैरान करने वाली तो है ही, केसरी की धंधेबाजी वाला चेहरा भी बेपर्दा करती है।