यूपी के सहारनपुर के गंगोह में पली-बढ़ी और इंटर तक की तालीम यहीं से हासिल करने वाली अंजुम आरा ने आईपीएस बनने का गौरव हासिल किया है. उन्हें दूसरी मुस्लिम महिला आईपीएस बताया जा रहा है. देश के कुछ बड़े अखबारों ने यह कहते हुए खबरें प्रकाशित की हैं कि अंजुम आरा दूसरी मुस्लिम महिला आईपीएस हैं. पर यह तथ्य गलत है. उनसे पहले कई मुस्लिम महिलाएं आईपीएस हो चुकी हैं.
मूलरूप से आजमगढ़ जिले के रहने वाले अयूब शेख, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग में जेई हैं. उनकी पहली तैनाती जनपद सहारनपुर में हुई थी. यहीं, उन्हें एक पुत्र व तीन बेटियां पैदा हुईं. 1992 से सन् 2006 तक अय्यूब की गंगोह में ही तैनाती रही. यहीं रहकर उनकी दूसरे नंबर की संतान अंजुम आरा ने प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की. यहां के आर्य कन्या इंटर कालेज से हाईस्कूल व एचआर इंटर कालेज से अंजुम आरा ने इंटर की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की.
इसके बाद वह लखनऊ के एक इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक की प्रथम श्रेणी में डिग्री हासिल की. कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने आइपीएस के 2011 बैच की परीक्षा पास कर लक्ष्य को पा ही लिया. अंजुम आरा की ट्रेनिंग अब पूरी हो चुकी है. अंजुम को मणिपुर कैडर मिला है. अंजुम के चयन पर घरवाले काफी खुश हैं. उनका कहना है कि बेटी ने मिसाल कायम कर समाज में उनका सिर ऊंचा किया है.
उधर, कुछ लोगों का कहना है कि अंजुम आरा हिंदुस्तान की दूसरी मुस्लिम महिला आईपीएस हैं और पहली मुस्लिम महिला आईपीएस मुंबई की रहने वाली गुजरात कैडर की सारा रिज़वी हैं. पर इस बात से वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार पंकज चतुर्वेदी इनकार करते हैं. उनका कहना है कि कई मुस्लिम महिलाएं आईपीएस हो चुकी हैं. उनका कहना है कि देश में अभी तक कम से कम दस मुस्लिम महिलाएं आईपीएस हैं. यही नहीं कश्मीर से भी मुस्लिम महिला आईपीएस हैं. Dr Sehrish Syed Asghar जम्मू-कश्मीर से हैं जो पहली मुस्लिम महिला आईपीएस बनीं. सृजन शिल्पी कहते हैं- कुछ अन्य भी हैं मुस्लिम महिला आईपीएस। एक तो दिल्ली में ही हैं नुज़्हत हसन।