आदरणीय, यशवंत भाईसाहेब, प्रणाम! मैंने साढ़े तीन बरसों की नौकरी के बाद पिछले दिनों हिन्दी पॉयनियर से त्यागपत्र दे दिया है। बरसों बाद कुछ छोड़ देने से दिल व्यथित है लेकिन कुछ नया करने को लेकर मन पुलकित भी हो रहा है। व्यथित इसलिए हूं कि प्रिंट मीडिया की निरंतर 19 बरसों की नौकरी के बाद अब मैं इससे मुक्त हो रहा हूं। …और पुलकित इसलिए कि 'इंडिया इमोशंस डाट कॉम' के संपादक के रूप में मैं वेब-जर्नलिज़म की एक नई दुनिया में प्रवेश कर रहा हूं।
दिलो-दिमाग में उमड़-घुमड़ रहा विचारों का संगम मुझे एक नई मंजिल की ओर धकेल रहा है। इन बरसों में मैंने विभिन्न समाचार-पत्रों में अलग-अलग भूमिकाओं का निष्ठा एवं इमानदारी से निर्वहन किया। कभी रिपोर्टिग तो कभी डेस्क और कभी इन दोनों क्षेत्रों में बतौर प्रभारी कार्य करते हुये मैंने पत्रकारिता को जिया हरपल और आत्मसात किया। मैंने हर संभव कोशिश की कि मेरी कलम से कुछ भी नापाक, तनिक भी अन्याय न होने पाये।
वैसे तो मेरा जन्मस्थान इलाहाबाद है लेकिन वाराणसी में पिताजी की पोस्टिंग के दौरान हाईस्कूल करते हुये अखबारों में लेटर्स-टू-एडिटर लिखकर मैंने अखबारों से जो दिल लगाया तो बाद में इसके भीतर मैं समाता ही चला गया। दैनिक जागरण लखनऊ में बतौर प्रशिक्षु करियर शुरू करने के उपरान्त हिंदुस्तान, स्वतंत्र भारत, जनसत्ता एक्सप्रेस और पॉयनियर जैसे पड़ावों पर चलते-ठहरते मैं खट्टे-मीठे अनुभवों का लुत्फ उठाता आगे बढ़ता रहा। मैं उन सभी वरिष्ठों, सहयोगियों, मित्रों का तहे दिल से शुक्रगुजार हूं जो मेरा आज भी निरन्तर साथ दे रहे हैं। आप की ही वजह से मुझे कभी पीछे पलटकर देखने की जरूरत महसूस नहीं हुई।
मुझे पूरा विश्वास है कि हम ऐसे ही मिलकर तरक्की के पथ आगे बढ़ते रहेंगे, पहले की तरह एक दूसरे का साथ निभाते रहेंगे क्योंकि मैंने न रास्ता छोड़ा है, न सफर, न साथी बस माध्यम बदल लिया है जिसका नाम है 'इंडिया इमोशंस डाट कॉम'। ये न्यूज वेबसाइट दुनियाभर के तमाम देशों में निवासरत हिंदुस्तानियों को भावुकता की एक डोर में पिरोने के लिए सक्रिय 'इंडिया इमोंशंस फाउंडेशन' की एक पहल है।
यशवंत भाई मैं आपका शुक्रगुजार हूं कि अपने मुझे पत्रकारिता की इस दिशा में आने से पहले कुछ मूलमंत्र दिये।
धन्यवाद
अपका छोटा भाई
अजय दयाल
ajay.s.dayal@gmail.com
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