श्रीमान अन्ना हजारे, रालेगन सिद्धि, महाराष्ट्र, आदरणीय अन्ना जी, प्रणाम, आशा है आप स्वस्थ एवं सानंद होंगे. पिछले कुछ दिनों से एक विशेष मुद्दे पर आप से बात करने का मन था. यद्यपि मैं नहीं चाहता था कि आपके पवित्र मौन की ऊर्जा इस षड्यंत्रकारी कोलाहल की सूचना से भंग करूँ, तथापि मैं विवश हो कर यह पत्र आपको लिख रहा हूँ.
व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध जब आपने बिगुल बजाया, तो कोटि-कोटि उद्वेलित और चेतना-संपन्न भारतीय आपके सात्विक नेतृत्व में बढ़ चले. स्वाधीनता के बाद देश को पहली बार ऐसा लग रहा है कि स्वराज और जनतंत्र की मूल अवधारणा, विचार और क्रिया के स्तर पर एक होने वाली है. रामलीला मैदान पर आपके साहसिक अनशन ने पूरे देश में एक ऐसी सकारात्मक ऊर्जा का समावेश किया है, जिसे रोक पाना भ्रष्ट ताक़तों के बस में नहीं है. एक बड़े सरोकार को पाने की दिशा में बढ़ते भारत के इस अहिंसक और शक्तिशाली आवेग को देख कर पूरा विश्व आपके नेतृत्व को श्रद्धा से प्रणाम कर रहा है.
रामलीला मैदान में उमड़ी जनता की शक्ति ने तथा विश्व भर में हुए उसके समर्थन ने केंद्र सरकार को मजबूर किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मज़बूत जन-लोकपाल लाने की तरफ कदम बढ़ाए. लेकिन कुछ भ्रामक कदम उठाने के अलावा सरकार ने अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्यवाई नहीं की. एक ओर तो माननीय प्रधानमंत्री जी पत्र लिख कर आपको आश्वस्त करते हैं कि लोकपाल की दिशा में आवश्यक कार्यवाई होगी, तो दूसरी ओर सत्ताधारी पार्टी के नेतागण आपकी और कोर कमिटी के एक-एक व्यक्ति की सार्वजनिक छवि एवं विश्वसनीयता को धूमिल करने में जी-जान से जुटे हैं.
दरअसल इस संघर्ष में विराट जन-शक्ति के अलावा तीन महत्वपूर्ण भाग और हैं, जिन में आप के नेतृत्व, आप के सन्देश के अतरिक्त एक संगठनात्मक ढांचा भी प्रमुख तत्व है .
आन्दोलन का नेतृत्व आपके हाथो में है जिस के प्रति पूरे देश को अखंड और अटूट विश्वास है. यही कारण है कि आप को लक्ष्य करना भ्रष्टाचारियों के बस में अब नहीं है .पहले जब कुछ राजनैतिक चेहरों द्वारा आपके ऊपर मौखिक रूप से हमला करने की जो कोशिश की गयी, तब उसे जनता ने एक सिरे से ख़ारिज कर दिया था. अत: यह भ्रष्ट, कुचक्री और षड्यंत्रकारी ताक़क्तें समझ गयी हैं की आप पर हमला करने से जन-लोकपाल के बढ़ते क़दमों को रोकना संभव नहीं.
आन्दोलन का सन्देश भी आप की ही तरह सरल और स्पष्ट है- "भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सार्थक संवैधानिक लड़ाई". संपूर्ण देश को इस पवित्र आन्दोलन के सन्देश (उद्देश्य) पर भी रंच मात्र संदेह नहीं है. पूरा देश भ्रष्टाचार से व्यथित हैं. इसलिए वाह आपकी एक आवाज़ पर चल पड़ने के लिए तत्पर है.
इस आन्दोलन की तीसरी महत्त्वपूर्ण कड़ी हैं वे कुछ लोग, जो आपके सहायक के रूप में इस आन्दोलन के लिए अहर्निश कार्यरत हैं. इन सब सामान्य पारिवारिक भारतीय नागरिकों की व्यथा भी अपने करोड़ों भारतीय भाई-बहिनों की तरह भ्रष्टाचार से उपजी अराजकता ही है. इन सब लोगो के समूह, जिसे सामान्य लोग 'कोर-कमिटी' और मीडिया के मित्र 'टीम-अन्ना' कहते हैं, पर भ्रष्ट ताक़तों की ओर से एक-एक कर किए गए व्यक्तिगत हमले इस बात का प्रमाण हैं, कि ये ताक़ते इस बड़े संघर्ष में सक्रिय लोगों को झूठे, तात्कालिक, बे-बुनियाद और छोटे आरोपों कि आड़ में आहत, तटस्थ या निष्क्रिय करना चाहती हैं. इन सब भ्रष्टाचारियों का मुख्य उद्देश्य इस जन-आन्दोलन को कमज़ोर करना और जन-लोकपाल की बजाए संगठन को ज्यादा बड़ा मुद्दा बना कर भ्रामक तथ्यों के आधार पर आन्दोलन को दिशा-भ्रमित करना है. ये वही लोग हैं जो सार्वजनिक रूप से सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों या समूहों को धमकी देते हैं कि उन का भी वही हाल किया जायेगा जो ऐसी आवाज़ उठाने वाले अन्य लोगों का पूर्व में किया जा चुका है. यद्यपि हम ऐसे लोगों या ताकतों को अपने विचार या मन में कुछ भी स्थान नहीं देते किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि इन सब हमलों और उन की सफाई देने से मूल मुद्दे से धयान हटाने का इन का षड़यंत्र बलशाली होगा. ऐसा होने पर न केवल जन-लोकपाल का मुद्दा प्रभावित होगा, अपितु करोडो भारतवासियों के उस विश्वास को भी आघात पहुंचेगा, जिसमे वो संवैधानिक, अहिंसक और शांतिपूर्ण तरीके से देश की समस्याओं का हल ढूंढते हैं.
ऐसी स्थितयों में बड़ी सहजता, आदर और आपके अद्वितीय नेतृत्व में संपूर्ण विश्वास के साथ मैं यह निवेदन करना चाहता हूँ, कि आप सीमित लोगों की इस कोर कमिटी को विस्तार दे कर इसे १२१ करोड़ लोगों की 'हार्ड-कोर कमिटी' में रूपांतरित कर दें. जैसा कि आप भी कहते हैं, कि ये लड़ाई व्यक्ति या सत्ता परिवर्तन की नहीं, बल्कि व्यवस्था-परिवर्तन की लड़ाई है. जन-लोकपाल के साथ-साथ और बाद में 'राईट तो रिजेक्ट', 'राईट तो रिकाल' तथा अन्य महत्त्वपूर्ण व्यवस्था परिवर्तक आन्दोलन जो हमें देश की जनता के साथ मिलकर लड़ने हैं, उनमें आपको हर मोर्चे पर एक नयी 'कोर-कमिटी' और एक नयी 'टीम अन्ना' की ज़रुरत पड़ेगी, जो आप की एक आवाज़ पर चल पड़ने के लिए उत्सुक, प्रतिबद्ध एवं प्रस्तुत हैं. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैं पुन: आपसे निवेदन करता हूँ कि आप इस वर्तमान कोर कमिटी को स्थगित कर एक नयी व्यवस्था का सृजन करें, जिस से भ्रष्टाचार-मुक्त नव-भारत का हम सब का सपना साकार हो सके.
सादर
डा. कुमार विश्वास