Prem Prakash : चलिए, दिल्ली से अच्छे संकेत मिल रहे हैं.अरविन्द केजरीवाल ने पिछले कुछ दिनों से बहुतों के पेट में सरकार बनाने के लिए जो दर्द उठा है, उसके लिए कुनैन जैसी एक गोली भेजी है. १० दिन का समय लेकर उन्होंने बिना शर्त समर्थन देने और दिलाने वाले राजनीति के व्यावसायिक घरानों से इस बिना शर्त समर्थन का मतलब पूछकर उनको सकते में डाल दिया है. 'आप' ने पूछा है कि बिना शर्त समर्थन का मतलब क्या है..?क्या कांग्रेस 'आप' के मुद्दों का समर्थन करती है..?यही सवाल चिट्ठी के जरिये बीजेपी और कांग्रेस अध्यक्ष से पूछा गया है.अब ये लोग लिख के बताएँगे कि हाँ या ना. घुटे हुए लोगों को उनके फील्ड में जाकर कुछ सिखाना हो तो ऐसे सवाल ईजाद करने पड़ते हैं भाई.चलिए अब या तो सरकार बन जाएगी या फिर 'समर्थन लिमिटेड कम्पनी' का शटर गिर जाएगा…
शंभूनाथ शुक्ल : अरविंद कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं। ऐसा धोबी पाट मारा कि कांग्रेस और भाजपा चारों खाने चित्त गिरी जाकर। जय हो "आप" की। लोकसभा में दिल्ली, हरियाणा ही नहीं अब तो पूरा यूपी बिहार भी हिल गया। पटना, छपरा और बनारस तक हिल रहा है।
प्रेम प्रकाश और शम्भूनाथ शुक्ल के फेसबुक वाल से