आगरा उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री अरिदमन सिंह के यहाँ की चोरी अब जातिवाद के रूप में उभर कर सामने आने लगी है, जिसमें आगरा के एसएसपी सुनील चन्द्र वाजपेयी व उनके बीच वर्चस्व की जंग छिड गयी है. वैसे भारतीय संविधान के अनुसार देश से राजा महाराजाओं का अस्तित्व बहुत पहले ही समाप्त हो गया है, लेकिन इक्कीसवीं शताब्दी में भी अखिलेश सरकार के कुछ ऐसे मंत्री हैं जो कि राजशाही ठाठ आज भी बरकरार रखे हुए हैं.
राजा के निर्वाचन क्षेत्र में ब्राह्मण वर्सेज ठाकुर का जंग है, जिसकी बदौलत राजा अपनी ही सल्तनत में दो बार हार का सामना कर चुके हैं, परन्तु अब एक बार फिर राजा को एमएलए बनने के बाद दलित व ब्राह्मण विरोधी होने के बाबजूद अखिलेश सरकार द्वारा लाल बत्ती के साथ नवाजा गया है. वर्तमान में राजा विवादों के घेरे में हैं, जिसमें जीतने के विवाद दलित प्रधान पति की हत्या, पत्नी को टिकट मिलने की समीक्षा पर समर्थकों का हंगामा व मारपीट, अपने घर के बाहर स्थित दुकानदारों का मानसिक उत्पीडन, चालक के द्वारा नशे में धुत्त होकर हंगामा काटना, अपनी ही बहन को अपने मकान में हिस्सेदारी न देना व भयंकर जातिवाद आदि आरोप अब तक लग चुके हैं. परन्तु अभी हाल में ही चोरी में भी जातिवाद खुलकर सामने आने लगा है, क्योंकि आगरा के एसएसपी सुनील चन्द्र वाजपेयी को मुलायम सिंह के संगी साथी आगरा के एक ब्राहमण का आशीर्वाद प्राप्त है, जिसे हटाना राजा के बलबूते का रोग नहीं है, परन्तु फिर भी चोरी की घटना में एसएसपी को दोषी करार देते हुए परिवहन मंत्री ने अखिलेश यादव से गुहार लगाई है.
शायद राजा को यह नहीं पता कि एसएसपी को अखिलेश के अब्बा का आशीर्वाद प्राप्त हैं तो फिर उसमें बेचारे अखिलेश क्या कर सकते हैं. उधर इस मामले में आगरा की पत्रकारिता में भी जातिवाद खुलकर सामने आने लगा है, जिसमें डीएलए व सी एक्सप्रेस राजा का बचाव कर रहा है, क्योंकि इसमें वरिष्ठ पदों पर भानु प्रताप व एसपी सिंह ठाकुर विराजमान हैं. सी एक्स्प्रेस के बचाव का यह भी कारण है कि राजा अपनी ताकत इस अखबार के मालिकान को दिखा चुके हैं, जिसमें यह जेल की हवा खाने से भी बच चुके हैं. जबकि अमर उजाला राजा की लगातार बैंड बजा रहा है, क्योंकि इसमें वरिष्ठ पदों पर ब्राह्मण का बोलबाला है इसलिए कल बहन वाले मामले में अमर उजाला ने राजा की जमकर खबर लिखी है. अभी जागरण व हिन्दुस्तान ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन यहाँ भी उच्च पदों पर ब्राह्मणों का बोलबाला है, इसलिए मामला रोमांचक दौर में पहुँच गया है, जिसके चलते यह मामला ब्राह्मण व ठाकुरों के बीच होता दिखाई दे रहा है. राजा के आवास पर जाने वाले पत्रकारों से उनका आगे का नाम पूछकर ही तवज्जो दी जा रही है, जिसमें ब्राह्मण व दलितों का जमकर अपमान भी किया जा रहा है, लेकिन समझदार ब्राह्मण बजाय राजा के यहाँ अपमानित होने के सपा के सूत्रों के अनुसार कार्यालय में बैठे बैठे ही राजा की बखिया उधेड़ रहे हैं. अब देखना होगा कि पाला किसका भारी पड़ता है.
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.