फर्रुखाबाद : आखिर 21 साल के बाद फर्रुखाबाद से मंडल कमंडल की धूम वाले पूर्व प्रधानमंत्री वी०पी० सिंह की आंधी में संसद का चुनाव जीतने वाले संतोष भारतीय को शर्म आ ही गयी| फर्रुखाबाद से निकल कर दिल्ली के पोश गलियारों की चकाचौंध में पहुच संतोष भारतीय को बीस साल ये शर्म नहीं आई| शायद अन्ना हजारे और जरनल वी के सिंह के प्लेटफार्म पर उन्हें दिन में ही संसदीय तारे आगोश में दिखाई पड़ने लगे है| अन्ना के मंच पर संतोष ने माफी भी मांगी| वैसे चुनाव आते ही फर्रुखाबाद में वोट के लिए माफ़ी मांगने का रिवाज है| पिछले चुनाव में सलमान खुर्शीद ने भी जनता से दूर रहने की माफ़ी मांगी थी| और वोट के लिए “चाचा हम शर्मिंदा है तुम्हारे हत्यारे जिन्दा” है के नारे तो हर चुनाव में लग ही जाते है|
पूर्व सांसद संतोष भारतीय ने राजनीतिक दलों के सांसदों वाली संसद के अस्तित्व को चुनौती दी है। नवीं लोकसभा में फर्रुखाबाद से सांसद रह चुके संतोष भारतीय ने लगभग 21 साल बाद जनता दल के उम्मीदवार के रुप में सांसद चुने जाने को शर्म का विषय बताते हुए ईश्वर, संविधान और मतदाताओं से क्षमा याचना की है। श्री भारतीय ने संविधान का हवाला देते हुए कहा है कि राजनीतिक दलों को संसद में अपने प्रतिनिधि भेजने का अधिकार ही नहीं है इसलिए अब तक की सभी संसदें अवैध हैं। संतोष भारतीय ने अपना यह विवादित बयान उस समय दिया है जब 2014 के लोकसभा के चुनाव के लिए राजनीतिक दल पूरी तैयारी में जुटे हैं।
अन्ना हजारे की जनतंत्र यात्रा में सहभागी संतोष भारतीय 1989 में फर्रुखाबाद से जनता दल की टिकट पर सांसद चुने गये थे। वह 1991 तक जनता दल सांसद रहे। यही नहीं 1998 में बसपा से दोबारा फर्रुखाबाद से ही चुनाव लड़े। लेकिन, अब तक उन्हें न तो संविधान की व्याख्या याद आयी और न उन्हें संसद का अस्तित्व गलत लगा । लेकिन, अब अचानक उन्हें संसद का अस्तित्व ही अवैध नजर आने लगा है। उन्होंने अब तक की सभी निर्वाचित संसदों की वैधता को चुनौती दी है और उनके आगे सवालिया निशान खड़ा किया है। उन्होंने 1989 में जनता दल से संसद चुने जाने को तो अवैध करार देते हुए ईश्वर, संविधान और मतदाताओं से क्षमा याचना की है पर 1998 में बसपा से दोबारा चुनाव लड़ने पर पश्चाताप नहीं किया है। संतोष भारतीय ने संसद के निर्वाचन को चुनौती देते हुए संविधान विशेषज्ञों को भी हस्तक्षेप करने का मौंका दिया है। श्री भारतीय ने कहा कि हमारी सारी समस्याओं की जड़ तो यह सांसद है। पूर्व सांसद ने कहा कि संविधान में स्पष्ट व्यवस्था है कि संसद में जो प्रतिनिधि चुनकर जायेंगे वे जनता के प्रतिनिधि होंगे, राजनीतिक दलों के उम्मीदवार नहीं। पूर्व सांसद यहीं पर नहीं रुके उन्होंने संसद को झूठों और मक्कारों की संसद तक कह डाला है।
फर्रुखाबाद से पंकज दीक्षित की रिपोर्ट.
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