Sanjay Tiwari : योग वशिष्ठ में वर्णन आता है. राम जी ने गुरू वशिष्ठ से कहा – मुझे पता है. मैं देव हूं. लेकिन फिर भी मेरे मन में स्त्री के उरोज (स्तन) जंघा, कटि जैसे अंगों को लेकर आकर्षण है.
तब वशिष्ठ जी ने राम जी को कहा था- इसमें कुछ भी गलत नहीं है राम. यह तो मानव देह की मर्यादा है. मानव देह में रहकर आकर्षण की इस मर्यादा से मुक्ति संभव नहीं.
अब कुछ मर्यादावादी लोग गुरू वशिष्ठ के भी गुरू हो गये हैं जो सामान्य इंसान से भी वह उम्मीद करते हैं जो खुद वशिष्ठ जी ने मर्यादापुरुषोत्तम राम से भी उम्मीद नहीं की थी.
पत्रकार संजय तिवारी के फेसबुक वाल से