शंभूनाथ शुक्ल : फेसबुकी मीडिया! कुछ ज्यादा वक़्त नहीं गुजरा। अभी जब मैंने पत्रकारिता शुरू की थी और कानपुर के दैनिक जागरण अख़बार से जुड़ा ही था तब प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के घर पर सास-बहू का झगड़ा चरम पर था। रोज अख़बारों में सद्य: विधवा बहू मेनका और सास इंदिरा गाँधी के बीच की कलह छपती और यह भी कि आज इंदिरा गाँधी वरुण को खिला रही थीं ऐसी फोटुएं भी। तब मैं जब रात एक या डेढ़ बजे सिटी का अख़बार छुड़वा कर घर आता तो सब जगते रहते यहाँ तक कि पडोसी भी आहट सुनकर आ जाते और पूछते कि आज एक सफदरजंग में क्या घटा।
फिर आठ नौ साल बाद प्रधानमंत्री वीपी सिंह के शपथग्रहण समारोह के मौके पर चंद्रशेखर और वीपी सिंह समर्थकों के बीच खूब लात घूंसे चले। पिछले प्रधानमंत्री राजीव गाँधी से इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के जरिए रोज दस सवाल पूछकर हंगामा क्रिएट करने वाले राम जेठमलानी के ऊपर भी उसी समय कुछ लोगों ने जमकर हाथ साफ़ किया और यह सब समारोह को लाइव दिखाने वाले दूरदर्शन ने न चाहते हुए भी दिखा दिया। तब मैं दिल्ली के एक्सप्रेस समूह के ही जनसत्ता अख़बार में था। रात घर लौटकर मैं कुछ बोलता उसके पहले पत्नी ने ही बजरिए दूरदर्शन सारा किस्सा बयान कर दिया।
इसके बाद आया डीडी मेट्रो जिसे देखकर हमारे मित्र नवनीत सहगल, जो उस समय पूर्वांचल के किसी जिले में डीएम थे, ने मुझे फ़ोन कर कहा कि आज तो आपने प्रधानमंत्री एचडी देवेगौडा को यह कहकर आवाक कर दिया कि "सर आई एम आलसो अ हम्बल फार्मर"। फिर आए निजी क्षेत्र के न्यूज़ चैनल और अब अखबार सिमट गए गाँव मोहल्लों में। क्योंकि मेट्रो टाउन्स की हर खबर न्यूज़ चैनल दिखा देता।
पर आज तो हद हो गई। आज के हिंदी हिंदुस्तान में पहले पेज पर एक खबर है- नयी दिल्ली-भागलपुर एक्सप्रेस में डकैती, वह पूरी की पूरी फेसबुक पर Abhishek Tripathi ने कल शाम को ही डाल दी थी। यानी अब फेसबुक ने तो टीवी और अखबार को पीछे छोड़ दिया। मीडिया की यह क्रांति अचंभित कर देने वाली है।
वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ला के फेसबुक वॉल से.