प्रभात खबर के संस्थापक संपादक रह चुके वरिष्ठ पत्रकार एसएन विनोद से बतियाना इसलिए भी अच्छा लगता है कि उनके पास दुनिया जहान के ढेर सारे किस्से, घटनाएं, जानकारियां होती हैं और उसे वे बिना किसी हिचक-संकोच अपने प्रिय कनिष्ठों को बांटा करते हैं. एसएन विनोद जी का मुझ पर भी प्रेम रहा है, और है. वे नागपुर रहें या दिल्ली, हफ्ते महीने में एक या दो बार फोन पर लंबी बातचीत जरूर हो जाती है.
भड़ास के शुरू होने के बाद एसएन विनोद ने भड़ास के उतार चढ़ाव को देखा और इस मंच को मीडिया के लिए एक बेहद जरूरी और अनिवार्य मंच बताया तो भड़ास चलाते हुए मैं एसएन विनोद के जीवन के उतार चढ़ाव को देखता रहा जिसमें उन्होंने इंडिया न्यूज चैनल से हटने के बाद नागपुर से खुद का अखबार हिंदी दैनिक 1857 निकाला और फिर अब दिल्ली में आकर साधना ग्रुप में एडिटर इन चीफ की हैसियत से सक्रिय हैं.
जिस उम्र में लोग रिटायर होकर एक एक दिन गिनना शुरू कर देते हैं, उस उम्र से कहीं ज्यादा उम्र होने के बावजूद एसएन विनोद नौजवानों की तरह चंगे और चंचल हैं. चंचल इसलिए कि जो सहजता सक्रियता उनमें पहले थी, वही आज भी है और कई बार लगता है जैसे उन्होंने उम्र और डिप्रेशन, दोनों को डराकर कहीं दूर दुबका रखा है.
साधना न्यूज से एक दिन मेरे पास बुलावा आया कि स्वामी अग्निवेश के अग्निबाण नामक एक प्रोग्राम में जिसकी एंकरिंग खुद एसएन विनोद जी करेंगे, मुझे गेस्ट के रूप में आना है. मैंने एसएन विनोद जी के साथ चाय पीने और गपियाने के प्रस्ताव को सहर्ष कबूल कर लिया. आधे घंटे के डिबेट कार्यक्रम के बाद फिर वहीं पर मैंने एसएन विनोद जी का वीडियो इंटरव्यू करने की व्यवस्था कराने में सफलता हासिल की, बृजमोहन सिंह और राजीव शर्मा के सौजन्य से.
इंटरव्यू में विनोद जी ने भड़ास4मीडिया पर भी बात की, इंडिया न्यूज पर बात की, खुद के हिंदी दैनिक 1857 पर बात की, जी न्यूज के संपादकों के जेल जाने पर बात की… ढेरों बातें हुईं… और हां, इस दौरान यह बात भी हुई कि एसएन विनोद जी का जो इंटरव्यू भड़ास पर 2009 के जनवरी महीने में तीन पार्ट में प्रकाशित हुआ, वह काफी पढ़ा गया और उस इंटरव्यू के बाद विनोद जी के पास ढेरों फोन आए. तो, चाहूंगा कि वीडियो इंटरव्यू देखने के बाद विनोद जी के उस पुराने इंटरव्यू को भी पढ़ा जाए ताकि उनकी सोच और उनके जीवन से संपूर्णता व समग्रता से परिचित हुआ जा सके. खासकर नई पीढ़ी के पत्रकारों के लिए विनोद जी उस आदर्श की तरह हैं जो किन्हीं भी हालात में हार नहीं मानता, बस कुछ देर रुक कर फिर मोर्चा संभालने और कर दिखाने में जुट जाता है.
वीडियो इंटरव्यू के लिए इस तस्वीर पर क्लिक करें..
विनोद जी के वर्ष 2009 में प्रकाशित इंटरव्यू को पढ़ने के लिए नीचे के शीर्षकों पर क्लिक करें…
प्रभात खबर चौथा बेटा, जिससे अलग किया गया
हां, यह सच है कि दिल्ली मुझे रास नहीं आई
उपर की तस्वीर पर क्लिक करेंगे तो विनोद जी के ताजा वीडियो इंटरव्यू पर पहुंच जाएंगे. उसके नीचे के तीन शीर्षकों पर एक एक कर क्लिक करेंगे तो विनोद जी के पुराने टेक्स्ट इंटरव्यू को पढ़ पाएंगे. अरे हां, यह बताना तो भूल ही गया कि विनोद जी ने अपनी आत्मकथा तैयार कर रखी है. बस उसमें इस बार के दिल्ली प्रवास का अनुभव निचोड़ डालना भर है. लेकिन हम लोग यही दुआ करेंगे कि अबकी उन्हें दिल्ली रास आए ताकि उनके साथ यूं ही बैठना गपियाना बतियाना और उनसे सीखना होता रहे.
यशवंत सिंह
एडिटर, भड़ास4मीडिया
09999330099
yashwant@bhadas4media.com