हिंदुस्तान, वाराणसी से खबर है कि राहुल श्रीवास्तव की जगह सोनभद्र के ब्यूरोचीफ बनाए गए आवेश तिवारी की जगह विजय विनीत को नया ब्यूरोचीफ बना दिया गया है. आवेश को लेकर रहस्य अभी भी कायम है. सूत्रों का कहना है कि आवेश को अभी ना तो हटाया गया है और ना ही उन्होंने इस्तीफा दिया है. खबर है कि आवेश ने अपनी नियुक्ति के समय किसी कॉलम को नहीं भरा था, उसी को आधार बनाकर उनकी सोनभद्र में नियुक्ति टाल दी गई है. बताया जा रहा है कि यह पूरी कार्रवाई प्रबंधन अपने एक पूर्व पत्रकार के इशारे पर कर रही है.
इधर सोनभद्र के प्रभारी बनाकर भेजे गए सीनियर रिपोर्टर विजय विनीत हिंदुस्तान की लांचिंग के समय से ही जुड़े हुए हैं. उनकी गिनती हिंदुस्तान के तेजतर्रार पत्रकारों में की जाती है. बताया जा रहा है कि सोनभद्र में हिंदुस्तान की हालत अत्यन्त खराब है. इस जिले में अखबार का सर्कुलेशन मात्र ढाई से तीन हजार के बीच बताया जा रहा है. पिछले पन्द्रह सालों से यहां का प्रभार देख रहे राहुल श्रीवास्तव को अखबार की दुगर्ति के कारण ही हटाया गया था. सूत्रों का कहना है कि आवेश को इसी लिए जिले का प्रभार नहीं दिया गया है ताकि देर सबेर राहुल श्रीवास्तव की वापसी कराई जा सके. सोनभद्र के मोर्चे पर भेजे गए विजय विनीत अखबार को कितनी ऊंचाई दे पाते हैं तथा प्रबंधन उन्हें यहां कितने दिन तक टिकने देता है. यह देखने वाली बात होगी.
इधर, हिंदुस्तान, वाराणसी के एक वरिष्ठ सहयोगी ने आवेश के खिलाफ जांच की पुष्टि की थी. इस संदर्भ में जब पिछले तीन दिनों में हिंदुस्तान के संपादक अनिल भास्कर से वास्तविक जानकारी चाही गई तो उन्होंने पहली बार दिल्ली में होने तथा पूरा मामला संज्ञान में न होने की बात कहकर मामला टाल दिया. दूसरे दिन जब उनसे संपर्क किया गया तो मीटिंग में होने की बात कही. तीसरे दिन जब भड़ास ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया. आसानी से समझा जा सकता है जो संपादक किसी तथ्य पर खुलकर बात नहीं कर सकता वो किसी मामले पर खुलकर अपनी कलम कैसे चला सकता है. राहुल श्रीवास्तव को हटाए जाने के समय भी संपादक अनिल भास्कर ने इनकार किया था कि राहुल को हटाया नहीं गया है, जबकि राहुल ने अपने इस्तीफे की पुष्टि की थी.