Pooja Singh : केजरीवाल जी, आप तो मजबूरियों की राजनीति नहीं करने वाले थे. फिर भी आपने एक्सिडेंटली पत्रकार बने खुद को मैनेजर कहने में फख्र करने वाले आशुतोष को सगर्व अपने दल में शामिल कर लिया और हम ठगे से देखते रह गए. आशुतोष जब आप की टोपी पहनकर जब महान क्षण और बदलाव के इस वक्त में खामोश न रह पाने की अपनी कथित पीड़ा का जिक्र कर रहे थे तब मुझे वर्ष 2006 का वह मंजर याद आया.
मैंने भोपाल के पत्रकारिता विश्वविद्यालय में दाखिला लिया ही था और एक आयोजन में चमकीले पत्रकार आशुतोष पधारे. वही आक्रामक शैली, वही तेवर लेकिन बातें एकदम बकवास… ''देखिए यह धंधा है, अगर आप मिशन सोच के आए हैं तो आज ही लौट जाइए.'' उनको इतनी बेसिक समझ भी नहीं थी कि नए बच्चों के उत्साह, बदलाव की उनकी आकांक्षा पर यूं अपने अनुभवों का तेजाब न फेंकें. बदलाव की बात करते हैं हुह… वैसे आईबीएन में हुई छंटनी के शिकार कई पत्रकार अभी भी बेरोजगार हैं, यह पूछना तो बेमानी ही है कि उनके लिए आपने कितनी आवाज उठाई संगठन में. बाकी बहती गंगा है, आप भी हाथ धो ही डालिए…
'तहलका' में कार्यरत युवा और प्रतिभाशाली पत्रकार पूजा सिंह के फेसबुक वॉल से. पूजा के इस स्टेटस पर आए दुर्गेश सिंह का यह कमेंट भी ध्यान खींचता है…
Durgesh Singh : कुछ एनुअल फंक्शन जैसा बताया गया था हमें. मंच पर आशुतोष दो घंटे में डेढ़ घंटे अपने मोबाइल में घुसे थे. उन्होंने नाइकी की सैंडल भी पहन रखी थी. जूता, सैंडल मुंह पर फेंकने का दौर नहीं था तो बच गए. वरना, खैर.… इतना बड़ा भ्रम टूटा था उस दिन की बाद में सिर्फ इस व्यक्ति की वजह से ये चैनल कभी नहीं देखा। अच्छा ही किया। और हाँ, हम सब उनको इसलिए भी सुनना चाहते थे क्यूंकि नया नया आईबीएन७ था जिसके वे प्रबंध सम्पादक बने थे. जैसे ही उन्होंने कहा कि अगर आपके घर गाँव में कोई सपोर्ट नहीं है और आप किसी मकसद से यहाँ आये हैं, तो लौट जाइये। गरीब गुरबों के लिए पत्रकारिता में कोई जगह नहीं है. जरा सोचिये हममें से अधिकतर उसी २५ हजार की फीस का इंतज़ाम ना जाने कैसे करके आये थे, ये हमारे छोटे शहरों का जज्बा ही था साहब आप बाहर निकले तो हमने आपका नंबर माँगा और आपने ऐसा बर्ताव किया जैसे देहाती लौंडे पिटबुल को घेर के खड़े हैं. और आप हिंदी को फ्रेंच समझकर चश्मा उचका रहे हैं. भला हो यशवंत व्यास का जिन्होंने अपने व्याख्यान में 'आप' पर व्यंग्य कसा कि दिल्ली में भूकम्प आया और आज तक के दफ्तर में खर्राटे चल रहे थे. तब आपको गुस्सा आया और आप दो मिनट के लिए मंच से चले गए. आशुतोष का 'आप' में जाना दुखद है. अरविन्द केजरीवाल आम आदमी से एक कदम दूर हुए हैं.
इन्हें भी पढ़ें:
आशुतोष के शिकार एक आम पत्रकार की कहानी
xxx
आम पत्रकारों का क्या होगा आशुतोष जी!
xxx
समस्या जो 'आप' में जाकर भी खत्म न कर पाएंगे आईबीएन के आशुतोष
xxx
रवीश को फोन कर लोग पूछते हैं कि आप भी 'आप' में जा रहे हैं?
xxx
आशुतोष को शुभकामना देना कठिन है, क्योंकि….
xxx
जब कोई पत्रकार राजनीति में जाता है तो उसका संतोष भारतीयकरण हो जाता है
xxx
पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने आशुतोष की पत्रकारिता पर उठाए गंभीर सवाल
xxx
आशु जी, कहीं आप मुझे कक्षा मित्र ही न मानने से इनकार कर दें, इसलिए यह फोटो अपलोड कर रहा हूं
xxx
शोषणवादी आशुतोष और समाजवादी "आप"
xxx
आशुतोष ने दुर्व्यवहार के लिए यशवंत से माफी मांगी
xxx
आशुतोष ने इस्तीफा नहीं दिया है, खराब परफारमेंस पर निकाला गया है
xxx
आईबीएन7 से आशुतोष की अनआफिसियल विदाई की कुछ तस्वीरें
xxx
कांशीराम के बेडरूम में घुसने पर झापड़ खाने वाला आशुतोष पूछ रहा कि फोन करने का ये कोई टाइम है!
xxx
आईबीएन7 से आशुतोष का इस्तीफा, आज आफिस में आखिरी दिन
xxx
आईबीएन वाले आशुतोष इस्तीफा देकर 'आप' ज्वाइन करने वाले हैं?
xxx
मोदी या सिब्बल के खिलाफ 'आप' के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे आशुतोष
xxx
आशुतोष के इस्तीफे के बाद आईबीएन7 में उनकी जगह लेंगे विनय तिवारी
xxx