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इनसाईट टीवी न्यूज की दादागिरी, रिजायन स्वीकार करने के बाद लगाते हैं फर्जीगिरी का आरोप

इनसाइट टीवी न्यूज (न्यूज पोर्टल) की दादागिरी इन दिनों चरम पर है। पटना में पिछले साढे चार साल से काम करने वाले ब्यूरोचीफ अनिरूद्ध कुमार के द्वारा 20 अगस्त को त्याग पत्र देने के बाद (जिसे कम्पनी ने स्वीकार भी कर लिया) बर्खास्तगी की खबर प्रसारित कर उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल किया जा रहा है। खबर यह है कि 20 अगस्त 2009 से 20 अगस्त 2013 तक अनिरूद्ध कुमार उक्त कम्पनी में ब्यूरो चीफ के पद पर कार्य करता रहा, लेकिन कभी भी समय से उनका पेमेन्ट नही किया गया।

इनसाइट टीवी न्यूज (न्यूज पोर्टल) की दादागिरी इन दिनों चरम पर है। पटना में पिछले साढे चार साल से काम करने वाले ब्यूरोचीफ अनिरूद्ध कुमार के द्वारा 20 अगस्त को त्याग पत्र देने के बाद (जिसे कम्पनी ने स्वीकार भी कर लिया) बर्खास्तगी की खबर प्रसारित कर उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल किया जा रहा है। खबर यह है कि 20 अगस्त 2009 से 20 अगस्त 2013 तक अनिरूद्ध कुमार उक्त कम्पनी में ब्यूरो चीफ के पद पर कार्य करता रहा, लेकिन कभी भी समय से उनका पेमेन्ट नही किया गया।

आठ-आठ महीने तक उनकी सैलरी ड्यूज रहती थी। आठ महीने बाद कभी कभार एक महीने की सैलरी कम्पनी के द्वारा दिया जाता रहा। लेकिन शायद अनिरूद्ध इससे इसलिए समझौता करता रहा कि आने वाले समय में सब कुछ ठीक-ठाक हो जायेगा। समय के साथ अनिरूद्ध की कड़ी मिहनत ने बिहार में इनसाइट टीवी को एक मुकाम पर खड़ा किया। जब भी सेलरी या पैसे की बात की जाती थी, तो उसे अधिकारियों और नेताओ को फंसा कर पैसे एंठने की गुर सीखाया जाता था। जिसे अनिरूद्ध हमेशा से नकारते रहे।

इसी बीच बिहार पुलिस के अच्छे कार्यों की सराहना करने की एक वृत चित्र बनायी गई, जिसमें भी कम्पनी के द्वारा अधिकारियों से पैसे ऐंठने का दबाव बनाया गया। जब इस बात को उन्होंने नकार दिया तो उन्हें फोन पर गाली गलौज दिया जाने लगा। अंत में हारकर उन्होंने 20 अगस्त को कम्पनी में रिजायन दे दिया। जिसे कम्पनी ने स्वीकार करते हुए एक पत्र बिहार के सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग को भेज दिया गया। उसके 18 दिन बाद कम्पनी एक चिट्ठी अनिरूद्ध को आता है, जिसमें उन्हें बर्खास्तगी की सूचना दी जाती है, और अन्य समान जैसे लेटर पैड, इनवेलप, कम्पनी का मोबाइल और सीम भोपाल ऑफिस को लौटाने की बात कही गई और 7 दिन का समय दिया गया। इसमें प्रबंधन ने 2 लाख रूपये का हिसाब नहीं देने का आरोप लगाया। जो बिल्कुल गलत है।

अब सवाल यह उठता है कि जब अनिरूद्ध का त्याग पत्र स्वीकार कर लिया गया, तो फिर बर्खास्तगी का लेटर क्यों? यदि बर्खास्तगी के लेटर पर थोड़ा यकीन भी किया जाय तो सात दिन का समय उन्हें दिया गया, जो कि 15 सितम्बर को पूरा होता है, लेकिन 8 सितम्बर को हीं कम्पनी के द्वारा दिये गये सिम कार्ड को ब्लॉक कर खुद चालु कर लिया जाता है। और अनिरूद्ध के जो भी सम्पर्क के लोग उस पर फोन करते हैं उससे धमकाया जाता है कि उस पर धमकी देने का केस कर देंगे। उसे अनिरूद्ध की चिीटिंग की बात बताई जाती है।

जब इस मसले पर अनिरूद्ध से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कम्पनी ने उनके साथ धोखाधड़ी किया है। उनका एक लाख 50 हजार रूपये सैलरी की बाकी थी, जब उसने मांगा तो उन्हें जबरदस्ती 20 अगस्त को रिजायन देने की बात कह कर एक लेटर सूचना एव जन-सम्पर्क विभाग को यह कहते हुए भेज दिया जाता है कि उन्होंने रिजायन कर दिया है, उनका अधिमान्यता कार्ड रद्द किया जाय। फिर 9 सितम्बर को उनके पास एक लेटर आता है कि उन्हें बर्खास्त किया जाता है, जो नियमानुकुल नहीं है।

अनिरूद्ध ने दावा किया है कि उन्होंने कम्पनी को रिजायन दिया हीं नहीं। यदि कम्पनी के पास कोई रिजायन लेटर है तो भड़ास फॉर मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक करे। साथ ही यह भी सार्वजनिक करें कि उन्होंने कहां फर्जीगिरी की है। अनिरूद्ध ने दावा किया है कि कम्पनी पर उनका डेढ लाख रूपया बाकी है, जिसे वह पचाना चाहती है, इसी बात के लिए खींचतान हुई, तो इनसाइट टीवी ने यह कदम उठाया है।

मालूम हो कि अनिरूद्ध ने अपने पत्रकारिता का कैरियर 2003 से शुरूआत की है। बीएजी फिल्मस, स्टार न्यूज में भोजपुर से स्ट्रिंगर, न्यूज एक्स, टीवी 100, हेडलाइन्स इंडिया डॉट कॉम में पटना से बतौर संवाददाता के तौर पर कार्य कर चुके हैं। कहीं भी अब तक उनके दामन में दाग नही लगी है। रिजायन (जिसे कम्पनी ने स्वीकार की है) और ट्रमिनेसन लेटर दोनो की कॉपी साक्ष्य के तौर पर भेजा जा रहा है। जिसे देखने के बाद खुद पता लगाया जा सकता है कि सच्चाई क्या है?

बिहार से आयुष कुमार की रिपोर्ट.

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