Prabhat Shunglu : इसी अखबार ने ये स्टोरी भी की थी कि दिल्ली में सेना सरकार को अपदस्थ करने वाली है, टैंक चल चुके हैं। ब्लाह..ब्लाह।। उसका हश्र क्या हुआ सबको पता है। स्टोरी पिट गई। अखबार के संपादक की छवि धूमिल हुई सो अलग क्योंकि इस कहानी में उसने बड़ी शान और गर्व से अपना नाम चिपकाया था।
इस कहानी के बाद से वो केवल न पढ़े जाने वाले लंबे-लंबे नार्सिसटिक लेख लिखते ही पाये जाते हैं। बहरहाल, अब वही अखबार बता रहा कि सेना के रिटायर्ड चीफ एक राज्य की सरकार गिराने का षड़यंत्र रच रहे थे। यानि वो जो भी कुछ कर रहे थे उसकी केन्द्र सरकार को भनक तक नहीं थी। बुकर की संभावना रखने वाले ये एक बेहतरीन नॉवेल का आइडिया है। यूपीए 2 की चंद उपलब्धियों में शुमार होने की संभावना भी प्रबल है।
वरिष्ठ पत्रकार प्रभात शुंगलू के फेसबुक वॉल से.