अखबारों में संपादकीय पेज को खाली छोड़ देने, इसे काला करके विरोध जताने की तमाम कहानियां देश में इमरजेंसी के दौरान देखने-सुनने को मिली थीं, पर इस दौर में जब अखबारों में जगह की गणना वर्ग सेंटीमीटर में होने लगी है, इस तरह की बात सोचना भी शायद आज अखबारों और उनके मालिकों के लिए संभव नहीं है. आज किसी भी अखबार का संपादक या मालिक किसी विरोध के लिए अखबार में स्पेस खाली छोड़ने की हिम्मत नहीं दिखाएगा.
परन्तु कारपोरेटीकरण इस भयानक दौर और मीडिया के सत्ता हितैषी होने के आरोपों के बीच मैसूर का एक 35 साल पुराना अखबार अपना पहला पेज खाली छोड़कर अपना विरोध दर्ज करा रहा है. सांध्य दैनिक 'स्टार ऑफ मैसूर' बंगलुरू में पिछले दिनों वकीलों द्वारा पत्रकारों पर किए गए हमलों के खिलाफ 3 मार्च से अपने अखबार का पहला पेज खाली छोड़ रहा है. नीचे स्टार ऑफ मैसूर में छपा एक कॉलम-
The Fourth Estate is the new target.
“In the new resurgent India, the media has played its role in exposing the wrongs done to this nation by its own people and has given voice to the weak. The Press, the fourth pillar of democracy, has so far kept check on the three other powerful pillars—the Executive, the Legislature and the Judiciary—and has done so in the interest of keeping the citizenry of this nation informed and to get it involved in national issues.
“This success of the media in getting people involved in issues that concern the nation is what has made the other three pillars uncomfortable…. A media that helps create awareness among the citizenry making it pro-active is not in the interest of the powerful in the other three pillars of democracy. And so, on March 2, while a certain section of lawers went on a thrshing spree on media persons, the police stood like helpless bystanders.”