सेवा में, मनीष तिवारी जी, सूचना एंव प्रसारण मंत्री, भारत सरकार : विषय :- इलेक्ट्रानिक मीडिया मॉनिटरिंग आईपी इस्टेट (ईएमएमसी) के संबध में शिकायती सूचना। महोदय, निवेदन यह है कि यह शिकायत इलेक्ट्रोनिक मीडिया मॉनिटरिंग आईपी इस्टेट (ईएमएमसी) के संबध में है, जहां काम करने वाले कर्मचारियों का भारी शोषण किया जा रहा है और भारी भ्रष्टाचार यहां विभाग में व्याप्त है। पूरी शिकायत विस्तार से और क्रमबद्ध रूप से नीचे है।
सर्वप्रथम आपका ध्यान यहां काम करने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह की ओर दिलाना चाहता हूं, जो आज भारी महंगाई के दौर मे बहुत ही कम है. कुछ लोगों को तो केवल 10000/- मासिक ही दिया जाता है. यहां सैलरी का स्लैब पछले पांच सालों से यही है जबकि महंगई लगातार बढ रही है और आने जाने के खर्च और ईएसआई, पीएफ कट जाने के बाद यह 5000/- भी नहीं बचती जो आज के समय मे जीवन यापन के लिए कम ही नहीं, बहुत कम है और हम इस पर जीने के लिए मजबूर हैं। त्योहारों पर भी छुटटी नहीं होती और ना ही उसके बदले कोई अतिरिक्त शुल्क अदा किया जाता है। इसके अलावा महीने के 15-15 दिन नाइट लगवाई जाती है लेकिन कोई भी अतिरिक्त शुल्क अदा नहीं किया जाता। और तो और, तनख्वाह भी एक पोस्ट के लिए एक नहीं रखी गई है। जिन लोगो की नियुक्ति के संबध में किसी भी तरहा सिफारिश रहती है उनको उसी पोस्ट पर ज्यादा तनख्वाह दी जाती है और बिना सिफारिश के लोगों को कम, ऐसा क्यों, जब समान ही पद है और समान ही काम है तो किसी की 10000/- तो किसी की 15000/- क्यों, क्या यह नाइंसफी नहीं है?
नाइट शिफ्ट में तो बुलाया जाता है लेकिन एक चाय तक की व्यवस्था नहीं की जाती है जो कि नाइट में काम करने के लिए बहुत ही जरूरी और आम है। ऐसा तो छोटी जगहों तथा फैक्ट्रियों में भी किया जाता है क्योकि नाइट में चाय और कॉफी का प्रबंन्ध तो किया ही जाना चाहिए।
छुटटी के दिन जब कैंपस में मौजूद कैंटीन बंद रहती है तब चाय और खाना खाने के लिए बाहर तक नहीं जाने दिया जाता जबकि कुछ लोग तो दिल्ली में अकेले ही रहते और अपना खान पान का प्रबन्ध बाहर से ही करते हैं। ऐसे में वह लोग जबरन शोषित होते हैं और इस तरह का व्यवहार तो मानवता के नाते भी अच्छा नहीं कहा जा सकता है।
अब तो कुछ दिनों से मोबाइल को ऑफिस के अंदर लेकर आना भी बंद करा दिया गया है। मोबाइल को बाहर रख कर आने के आदेश दिये गये हैं। ये कोई आईबी या रॉ का कार्यालय नहीं है फिर इस तरह का व्यवहार डायरेक्टर महोदया द्वारा पता नहीं क्यों किया जाता है। ये तो जबरन कर्मचारियों की आजादी पर पहरा लगान जैसा ही है जबकि महोदया खुद पर क्यों नहीं इस नियम को लगातीं, क्या यह नियम उन पर भी लागू नहीं होना चाहिए।
कार्यलय में इस्तेमाल के लिए लेकर आई जाने वाली स्टेशनरी या अन्य साम्रगी मंगवाने में भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जो चीजें मंगवाई जाती है वह क्वालिटी में अच्छी नहीं होती लेकिन उसके बिलों को ज्यादा और उच्च दिखलाया जाता है। जिस ट्रांसपोर्टर के माध्यम से कर्मचारियों को लाने ले जाने की व्यवस्था की जाती है उसमें भी भ्रष्टाचार व्याप्त है। ये गाड़ियां पहले तो कामर्शियल रूप में इस्तेमाल नहीं की जाती हैं, वही ऑफिस के एक अधिकारी भारत भूषण के माध्यम से ही चलवाई जा रही है और विभाग की गाड़ियों को डायरेक्टर सहित भारत भूषण के द्वारा निजी प्रयोगों मे लाया जाता है, जिसमें मन चाहा बिल बनाया जाता है, जिसमें भारत भूषण जी का भी हिस्सा रहता है। इसकी जांच की जानी चाहिए जिससे सच्चाई का पता चले और विभाग को दोनों हाथों से लूटने वाले लोगों पर कार्यवाही हो।
ईएमएमसी में नये कार्यालय को बनाने और उसमे सभी समान कम्प्यूटर आदि लगवाने में भी कम दरों पर लिये गये माल को उच्चे दरों पर दिखाया गया और भारी भ्रष्टाचार किया गया जिसमें यहां की डायरेक्टर और भारत भूषण शमिल हैं। बिना टेंडर निकाले काम करवाया गया। अपने आदमियों से काम करवा कर उच्चे बिल पास करवाये गये। इसकी भी जांच करवाई जाये ताकि इस भ्रष्टाचार पर लगाम लगे और कर्मचारियों के हित को लेकर कुछ आवश्यक कदम उठाये जायें, जो भारी दबाव और बहुत ही कम तनख्वाह मे काम करने के लिए मजबूर हैं।
हम जानकार इसमें किसी का नाम नहीं डाल रहे हैं क्योंकि नाम डालने पर या तो संबधित व्यक्ति को कोई कारण पैदा कर निकाल दिया जायेगा या फिर परेशान किया जायेगा। हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आपके मंत्रालय के विभाग में हो रहे इस तरह के कार्यों पर आप जल्द एवं उचित कार्यवाही करेंगे।
धन्यवाद,
प्रार्थी
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प्रधान मंत्री भारत सरकार
चैयरमैन (बीईसीआईएल)
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