Ram Janm Pathak : यह अब कोई छिपा तथ्य नहीं है कि कई प्रमुख चैनलों में मुकेश अंबानी का पैसा लगा है। कुछ चैनल तो खुलेआम पूरी बेशर्मी से केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। और अपनी इसी बेहयाई एकतरफेपन की वजह से ही बेनकाब भी हो चुके हैं। एक-दो चैनल थे जो दबे गले से कभी कभार केजरीवाल को भी कवरेज दे देते थे, ताकि निष्पक्षता का मुलम्मा उन पर चढ़ा रहे। लेकिन, ऐसे चैनल भी अब अपनी केंचुल उतार रहे हैं। इनमें एनडीटीवी ने तेजी से रंग बदला है।
साफ लग रहा है कि एनडीटीवी के मालिकों को डांट पड़ गई है या वे खुद जाकर गिर पड़े हैं। संप्रग सरकार में लंबा-चौड़ा प्रोजेक्ट हासिल करने के बाद अब ये चैनल स्वामी आने वाली सरकार से कुछ हासिल करने की तैयारी कर रहे हैं। असल में पत्रकारिता की स्वायत्ता और स्वतंत्रता वास्तव में अखबार मालिकों और चैनल मालिकों की ही स्वतंत्रता है। ऐसे में इन भ्रष्ट और बिके हुए चैनल मालिकों और भेष बदल कर बैठे कुछ तथाकथित पत्रकारों को अगर केजरीवाल ने जांच कर जेल भेजने की बात कही थी, तो उसमें गलत क्या था। जज हों या पत्रकार अगर वे किसी घिनौनी साजिश में शामिल हैं तो उन्हें जेल क्यों नहीं भेजना चाहिए?
नेता जेल जा सकते हैं, नौकरशाह जा सकते हैं तो मीडिया के लोग कोई पवित्र गाय नहीं हैं। केजरीवाल के बयान पर मीडिया के एक वर्ग ने ऐसा हल्ला मचाया, जैसे कोई तूफान आ गया हो। जबकि, हकीकत यही है कि इस समय पूरे देश का नब्बे फीसद मीडिया किसी न किसी साजिश में शामिल है और अपनी टीआरपी के लिए किसी भी तरह की बेशरमी ओढ़े हुए है।
जनसत्ता अखबार में वरिष्ठ पद पर कार्यरत राम जन्म पाठक के फेसबुक वॉल से.