महंगाई के इस विशाल दानव के सामने दिल्ली-एनसीआर में 20-25 हज़ार कमाने वाला आदमी न तो ठीक से खा सकता है और न ही एक छोटा सा आशियाना बना सकता है। अब ऐसे मे चुनौतियां दोगुनी नहीं बल्कि चारगुनी हो जाती हैं। बाजारवाद इतना हावी है कि छोटी से छोटी जरूरतों के लिए इंसान बैंक की शरण मे आ जाता है। एमएचवन टीवी नेटवर्क, जिसके 3 चैनल हैं MH1 MUSIC , MH1 NEWS और श्रद्धा के एक कर्मचारी को होम लोन की आवश्यकता थी। वो सैलरी स्लिप के लिए HR मितिका सिंघल के पास निवेदन करने गया।
HR के जवाब से उसके सपनों का इंतकाल हो गया। एचआर ने साफ साफ मना कर दिया। कहा कि बॉस ने मना कर रखा है की किसी को भी सैलरी स्लिप नहीं देनी है। ये केवल एमएचवन टीवी नेटवर्क की ही कहानी नहीं है। बहुत से ऐसे टीवी चैनल हैं जो सैलरी स्लिप न दे के उनका शोषण करते हैं। कई बार सैलरी स्लिप के अभाव में कोई अच्छी नौकरी भी हाथ से निकल जाती है। मीडियाकर्मी दूसरों के साथ हो रहे अन्याय के लिए आवाज़ तो बन जाते हैं लेकिन खुद पर हो रहे अन्याय के वक़्त बेचारे गूंगे बन जाते हैं या ऐसा कहें की गूंगा बनना उनकी मजबूरी बन जाती है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
भड़ास तक सूचनाएं bhadas4media@gmail.com के जरिए पहुंचा सकते हैं.