सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने आज उत्तर प्रदेश शासन द्वारा सुरक्षाकर्मी दिये जाने के सम्बन्ध में जारी दो शासनादेशों को चुनौती देती एक याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच में दायर की है. याचिका के अनुसार एमएलए, एमपी, पूर्व एमएलए/एमपी, निगमों के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर पालिका प्रमुख आदि को सुरक्षा देने विषयक 05 मई 2008 और 11 जनवरी 2013 के शासनादेश पूर्णतः विरोधाभाषी, विभेदकारी और त्रुटिपूर्ण हैं. जहाँ एक मौजूदा एमएलए/एमपी को निशुल्क दो गनर का प्रावधान रखा गया है वहीँ पूर्व एमएलए/एमपी को 10 प्रतिशत व्यय पर मात्र एक. इसके विपरीत निगमों के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष को एक निशुल्क और 10 प्रतिशत व्यय पर दूसरे गनर की बात कही गयी है.
ठाकुर के अनुसार इस प्रकार इन सभी पदधारकों के लिए सुरक्षा सम्बंधित सार्वभौम प्रावधान करना यह प्रदर्शित करता है कि इस मामले में विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इसी प्रकार एक सामान्य जन को कितनी भी जरूरत होने पर निजी खर्च पर ही सुरक्षाकर्मी प्रदान करने की व्यवस्था दिखाती है कि यह आमजन के लिए विभेदकारी है.