भड़ास4मीडिया को रंगदारी मिलने का सिलसिला लगातार जारी है. हजार रुपये रंगदारी देकर भड़ास पढ़ने और भड़ास को सपोर्ट करने के आह्वान का असर देश भर में देखने को मिल रहा है. चंडीगढ़ से गोपाल शर्मा ने हजार रुपये रंगदारी जमा कराई है तो गुड़गांव से अंकित माथुर समेत तीन लोगों ने रंगदारी भड़ास को दी है. बिहार के सहरसा से अजय कुमार ने हजार रुपये भड़ास के खाते में जमा कराए हैं. अभी अभी एसएल चौधरी ने सूचित किया है कि उन्होंने भड़ास के खाते में हजार रुपये जमा करा दिए हैं, रंगदारी के.
उपरोक्त नामों के अलावा भी ढेर सारे नाम हैं रंगदारी देने वाले साथियों के, जिन्हें यहां प्रकाशित नहीं कर पा रहा हूं क्योंकि रोजाना की आपाधापी में हजार रुपये देने वाले कई साथियों के नाम को याद नहीं रख पाता और नाम अगर याद रख पाता हं तो उसके बारे में भड़ास पर लिखना भूल जाता हूं कि फलाने फलाने ने इतने इतने पैसे दिए. हां, जब किसी ने मुझे सूचित किया है कि उन्होंने भड़ास के एकाउंट में इतने रुपये जमा करा दिए हैं तो मैंने उन्हें मेल या मोबाइल से शुक्रिया का संदेश जरूर भेजा है.
आर्थिक मदद देने वाले कई साथियों ने अपील की है कि उनका नाम किसी हाल में प्रकाशित नहीं किया जाए. ऐसे ही एक साथी नोएडा के हैं जो एक अखबार के संपादक हैं. उन्होंने पांच हजार रुपये भड़ास के एकाउंट में जमा करा के मुझे सप्रेम सूचित किया और साथ ही अनुरोध भी किया कि किसी हाल में उनका नाम प्रकाशित नहीं किया जाए.
भड़ास आर्थिक मदद या भड़ास रंगदारी या भड़ास रीडरशिप सब्सक्रिप्शन या भड़ास सदस्यता या भड़ास आजीवन सदस्यता या भड़ास फी या भड़ास एसोसिएशन जो भी नाम दे लें, के नाम पर भड़ास को पैसे देने वाले कई साथियों को भड़ास पर नाम प्रकाशित होने पर आपत्ति नहीं है लेकिन जब-तब संकट मेरे साथ हो जाता है कि मैं एक-एक का नाम अलग-अलग प्रकाशित करने के लिए अलग-अलग लिख पाने का मन नहीं बना पाता. रंगदारी देने वालों की लिस्ट तैयार करने की जहां तक बात है तो इस काम के लिए दिन भर तैयार बैठे रहने जैसी स्थिति मेरे लिए संभव नहीं है.
पिछली बार जो पहली लिस्ट भड़ास रंगदारी देने वालों की प्रकाशित की मैंने, उसमें कुछ नाम ऐसे हैं जिन्होंने सूचित तो कर दिया कि वे पैसे देना चाहते हैं, लेकिन उन्होंने दिया नहीं. तो, अब मैंने तय किया है कि मदद देने वालों का नाम नोट करता जाऊंगा और एक दिन इकट्ठा सबके नाम प्रकाशित कर दूंगा, उसी अंदाज में जैसे कभी रेडियो पर गीतों के लिए फरमाइश के नाम पढ़े जाते थे… झुमरी तलैया से मुन्नी, रीतू, नीतू, संजय, साहिल…. 🙂
अराजकता, उदासी, व्यग्रता, मोहभंग, काम की मारामारी, फोन और मेल की रेलमपेल और इस सबके अलावा बचे थोड़े से वक्त में इत्मीनान से शराबखोरी व मांस भक्षण के बीच आज इतना ही लिख कह पा रहा हूं कि एसएल चौधरी, अंकित माथुर, अजय कुमार, गोपाल शर्मा जैसे साथियों के साथ-साथ उन सभी साथियों का हृदय से आभारी हूं जो भड़ास को आर्थिक मदद देकर इसे लगातार जिंदा रखने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. मदद देने वाले अगर किसी साथी का नाम न लिख पाया हूं तो कृपया वो अन्यथा ना ले.
और, अगर किसी साथी को लगता है कि उसका भी नाम प्रकाशित होना चाहिए तो प्लीज नीचे कमेंट बाक्स में अपना नाम मोबाइल नंबर व भड़ास एकाउंट में जमा कराई गई रकम लिखकर पोस्ट कर दे, उसे जरूर अलग से प्रकाशित करेंगे. उम्मीद करता हूं कि हजार रुपये रंगदारी भड़ास को देने वालों की संख्या बढ़ेगी क्योंकि भड़ास से फेवर, उम्मीद, मदद तो बहुत लोग चाहते हैं लेकिन भड़ास को फेवर, उम्मीद, मदद गिने चुने लोग ही करते हैं.
यशवंत
एडिटर
भड़ास4मीडिया
yashwant@bhadas4media.com