शनिवार को इंडिया टीवी पर प्रसारित हुआ नरेंद्र मोदी का फिक्स इंटरव्यू चैनल के संपादकीय निदेशक (एडिटोरियल डायरेक्टर) कमर वहीद नकवी के इस्तीफा देने के बाद विवादों और सवालों के दायरे में आ गया है. इस इंटरव्यू के बाद इंडिया टीवी से नकवी ने इस्तीफा देने के बाद भास्कर वालों से बातचीत में कहा कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है और एक-दो दिन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वह सारी बात स्पष्ट करेंगे.
उधर, पत्रकारिता में नकवी के जूनियर सहयोगी रहे पत्रकार और अब 'आप' के नेता आशुतोष ने ट्वीट कर जानकारी दी कि उन्हें बताया गया है कि नकवी ने मोदी का इंटरव्यू फिक्स होने के विरोध में इस्तीफा दिया है. नकवी ने रविवार रात इस्तीफा दे दिया था. सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में नकवी के इस्तीफे का जिक्र किया. उन्होंने बीजेपी पर मीडिया को धमकाने का आरोप लगाया. केजरीवाल ने कहा, 'बीजेपी के लोग कह रहे हैं कि हमारी सरकार आने वाली है और हम संपादकों को देख लेंगे.' केजरीवाल ने भी इंडिया टीवी पर मोदी के इंटरव्यू को फिक्स बताया था.
इस बीच, नरेंद्र मोदी – रजत शर्मा फिक्सिंग प्रकरण पर सोशल मीडिया में लोग जमकर बातें कर रहे हैं. Deepak Singh ने लिखा है- ''आख़िरकार रजत शर्मा और मोदी के बीच हुए मैच फिक्सिंग की पोल खोलने के लिए इंडिया टीवी के संपादकीय निदेशक (एडिटोरियल डायरेक्टर) कमर वहीद नकवी ने इस्तीफा दे ही दिया, बहुत जल्द इस खबर के लिए प्रेस कांफ्रेंस करेंगे (अगर जिन्दा बचे तो) , एक अर्से से इस फर्जी अदालत का व्यापार चल रहा हैं जिसमे आज तक एक भी व्यक्ति को आरोपी नहीं माना गया| पेड मीडिया क्या होता हैं इसका अंदाज़ा इसी प्रोग्राम में अरविन्द केजरीवाल और नरेंद्र मोदी से पूछे गए सवालो के स्तर से लगाया जा सकता हैं। कई वरिष्ठ पत्रकार इस कार्यक्रम को देखने के बाद कह रहे हैं वकील तो गुनाहगार से मिला हुआ जान पड़ता हैं….''
Gopal Jha कहते हैं- ''सियासत से शुद्धता गायब हो गई. पत्रकारिता पर कालिख पुतने लगी है. दिग्गज पत्रकार तो जैसे हदें पार करने पर उतारू हैं. रजत शर्मा खुद जनता की अदालत में साख बचाने की जुगत में हैं. इंटरव्यू में तीखे सवाल पूछने का मतलब यह कदापि नहीं हम सामने बैठे अतिथि को शर्मसार करना चाहते हैं. मेरा स्पष्ट मानना है कि तीखे या विवादित सवालों का सामना करना सामने वालों के लिए फायदेमंद होता है. बशर्ते कि वह सटीक जवाब देने में माहिर हों. बात सिर्फ मोदी की नहीं, रजत शर्मा की नहीं। ये तो महज प्रमाण हैं. अगर सामने वाला जरुरी सवालों का जवाब नहीं देना चाहता तो उसकी अज्ञानता है, पत्रकार को तो अपना धर्म निभाना ही चाहिए। हमने राहुल और मोदी दोनों का इंटरव्यू देखा। निराश हुआ, पत्रकारिता की ऐसी दुर्गति देखकर।''
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