Soumitra Roy : एक नहीं, 108 कमांडो के सुरक्षा घेरे में जो भाड़े के हेलीकॉप्टर से चुनाव सभा तक जाता हो, आम जनता और जिस नेता के बीच कम से कम 30 मीटर की दूरी रहती हो, रैली से पहले सिक्योरिटी की पूरी पड़ताल होती हो, भला उस नेता को थप्पड़ मारने की दिलेरी किसमें है?
सरेआम कानून तोड़ते रसूखदार का विरोध करने वाले इंसान को ही थप्पड़ खाने पड़ते हैं। लेकिन इससे उस इंसान में लड़ने की इच्छा और बढ़ जाती है। केजरीवाल तुम डटे रहो, क्योंकि तुमको आगे इन सारे थप्पड़ों का जवाब जूतों से देना है। जिस दिन हम जैसे लोग सड़कों पर तमाम थप्पड़ों का हिसाब मांगने उतरेंगे, उस दिन थप्पड़ नहीं कथित राष्ट्रवादियों पर जूते बरसेंगे। तवारीख गवाह है कि झूठे वादों से उकताई जनता जूते मारकर अपना हिसाब मांगती है।
Deepak Rai : याद तो होगा ही आपको गांधी जी को एक मामूली गार्ड ने थप्पड़ मारकर ट्रेन से फेंक दिया था। आज उन्हीं की फोटो है नोट पर। मलाला को तालिबानियों ने गोली मार दी थी, आज उसकी प्रसिद्धि चरम पर है। किसी ने वह जगह नहीं ले पाई। शहीद भगत सिंह ने गोली खाई थी देश के लिए याद है न….. मैं केजरीवाल की तुलना इनसे नहीं कर रहा, बस छोटा सा उदाहरण देने की कोशिश कर रहा हूं। ये वही केजरीवाल है, जिसकी सरकार बनने के बाद पुलिस का हफ्ता बंद हो गया था। गुमठी वाले खुश थे, आटो वाले खुश थे। एलपीजी की महंगाई बढ़ाने वाले अंबानी, पूर्व मंत्रियों पर एफआईआर कराई थी, ताकि आम आदमी को सस्ते में गैस मिल सके। पानी में राहत दी थी, बिजली में राहत दी थी। अगर उस आदमी ने सत्ता छोड़ दी तो पक्का कुछ न कुछ प्लान होगा उसके दिमाग में, जो देश हित में होगा। भई केजरीवाल गंदे गटर जैसी राजनीति में उतरा है तो स्वाभाविक हैं कुछ गंदगी उसे भी घेरेगी। चाणक्य कहते थे, 100 चोरों से लडऩे के लिए एक ईमानदार को चोरों वाली हरकत करनी ही पड़ती है। माना कि कुछ कमियां हैं, लेकिन कमियां किसमें नहीं होतीं। मोदी की यह कमी है कि गोधरा का दाग लगा। राहुल में कमी यह है कि बेचारे देश के विचारों को नहीं समझ पाए। आपमें भी कमियां होंगी। मीडिया के क्या हाल हैं। सब जानते हैं। मैं कुछ भी नहीं कहूंगा। अपने अंदर झांककर एक बार तो देखो। जेड प्लस सिक्योरिटी में 36 जवानों के घेरे में घूमते हैं हमारे नेता, उन्हें थप्पड़ मारना तो दूर की बात, कोई शिकायत करने भी उन तक नहीं पहुंच पाता। ऐसे में एक आम आदमी केजरीवाल पर थप्पड़ मारने से कोई तीस मार खां नहीं बन गया।
पत्रकार सौमित्र रॉय और दीपक रॉय के फेसबुक वॉल से.