तरुण तेजपाल के मामले के पब्लिक डोमेन में आने के दो दिन बाद भी तेजपाल के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई ना होने से अब कयास उठने शुरू हो रहे हैं कि तेजपाल को कौन बचाने की कोशिश कर रहा है. पत्रिका की मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी ने पहले तो इसे संस्थान का भीतरी बताते हुए किसी भी तरह की जांच से इंकार कर दिया. बाद में चारों तरफ से की जा रही आलोचनाओं के चलते उन्होंने कल एक आंतरिक जांच कमेटी का गठन कर दिया.
शोमा चौधरी ने अब पुलिस जांच में किसी भी तरह का सहयोग देने से इंकार कर दिया है. इस मामले की जांच कर रही गोवा पुलिस की अपराध शाखा ने शोमा से महिला पत्रकार का शिकायती पत्र पुलिस को उपलब्ध कराये जाने को कहा है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शोमा ने कहा है कि पुलिस की मदद नहीं करेंगी क्यूंकि पीड़िता ने कोई एफआईआर नहीं कराई है. जब उनसे तरुण के गायब हो जाने के बारे में पूछा गया तो शोमा ने कहा कि तरुण देश में ही हैं और जांच कमेटी के समक्ष प्रस्तुत होंगे.
उधर इस मामले ने राजनीतिक रंग बी ले लिया है. तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल पर कांग्रेस के साथ सम्बन्ध का हवाला देते हुए बीजेपी ने कहा है कि कहीं पीड़ित पत्रकार पर पुलिस से शिकायत ना करने के लिए कांग्रेस की तरफ से दबाव तो नहीं है. बीजेपी नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने अपने ब्लाग में लिखा है कि इस बात पर चिन्ता की जानी चाहिए कि कहीं लड़की पर मुकदमा ना दर्ज करने के लिए किसी तरह से दबाव तो नहीं बनाया जा रहा है. उन्होंने लिखा है कि तेजपाल और शोमा निजी सहमति से कैसे मामले को कानूनी प्रक्रिया तक पहुंचने से रोक सकते हैं. शोमा चौधरी कैसे ये कह सकती हैं कि पीड़िता पुलिस के पास नहीं जायेगी. क्या वो ऐसा करके इस मामले में अपने स्टाफ की कर्मचारी पर तथ्यों को छिपाने का दबाव नहीं बना रहीं हैं. ये मामला सबूतों के छेड़छाड़ का बनता है.
वहीं प्रेस क्लब आफ इंडिया ने इस मामले में बयान देकर कहा है कि इस मामले में पुलिस को स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज करना चाहिए.