Shambhu Dayal Vajpayee : लगभग एक सौ करोड रुपये की लागत वाला बरेली का प्रमुख अस्पताल गंगाशील 24 घंटे के अल्टीमेटम पर बंद करा दिया गया। मेरे कुछ जानने वालों को शिकायत है यहां इलाज बहुत मंहगा था । अखबारी मित्रों का आक्षेप है कि आईएमए के 'अनुग्रह' के चलते मैं अस्पताल के पक्ष में 'कलम तोड़ रहा' हूं। बंद करने का कारण बताया जा रहा है कि अस्पताल की एक कर्मचारी के साथ एक अन्य कर्मचारी ने अपने भाई की मिली भगत से दुराचार किया ।
अस्पताल के मालिक डाक्टर तब अस्पताल में नहीं थे लेकिन पता लगने बाद उन्हों पुलिस को सूचना देने बजाय घटना को दबाये रखा और समझौते की कोशिस की। पीडिता का इलाज करने वाले अस्पताल के डाक्टर ने फाइल पर अपनी नोटिंग में दुराचार का संदेह जता दिया था। मेडिको लीगल मामले को प्रबंधन ने दबाया। अस्पताल मालिकों का कहना है कि उन्हें पहले दुराचार के बजाय गिरने से चोट लगने की ही जानकारी दी गयी थी। अस्पताल पर एक आरोप अपने सभी कर्मचारियों का सीएमओ के यहां रजिस्टे्शन न कराने का भी है।
अब घटना और उसे छिपाने के कथित आरोपों की सचाई तो सम्यक जांचोपरांत ही आ सामने आ सकती है। कई लोगों का यही मानना है कि प्रबंधन का पक्ष सुने और नोटिस दिये बिना ही अस्पताल बंद करा देने से प्रशासन का प्रताप भले दिखा हो निष्पक्षता की झलक नहीं दिखी है। जहां तक कर्मचारियों के रजिस्टे्शन की बात है तो शायद किसी अस्पताल ने ऐसा नहीं कराया होगा। हो सकता है अब जिले का स्वास्थ्य विभाग सभी अस्पतालों में सत्यापन करे कि उनके सभी कर्मचारियों का रजिस्टे्शन है या नहीं । ऐसा होता है तो प्राय: सभी निजी अस्पताल प्रशासन की टेढी नजरों में आ जाने चाहिए।
वैसे इस प्रकरण में महानगर के डाक्टरों की आपसी राजनीति और गुटबाजी की भी पोल खुल गयी है। आईएमए के शक्तिशाली संगठन पर मेयर डा. आईएस तोमर और उनके समर्थक डाक्टरों का वर्चस्व है। डा. एके चौहान , डा. केशव अग्रवाल और डा. अशोक अग्रवाल जैसे बडे असरदार डाक्टर अलग खेमे में है। गंगाशील और गंगा चरन अस्पतालों के संस्थापक डा. नवल किशोर गुप्ता भी आईएमए की राजनीति में इसी तरु रहते रहे हैं।
हर साल डा. तोमर समर्थकों के ही आईएमए अध्यक्ष और सचिव वगैरह चुने जाने से अब ये लोग सामान्यत: आईएमए की गतिविधियों के प्रति उदासीन रहने लगे हैं। डा. सुशील टंडन और डा. सत्येन्द्र सिंह जैसे कुछ अन्य प्रतिष्ठित डाक्टर दोनों ओर वीतरागी भाव रखते हैं। डा. तोमर लोक सभा चुनाव लडना चाहते हैं और सपा से टिकट के फेर में हैं। आईएमए , बरेली के एक बार हडताल के आह्वान की गंगाशील और गंगा चरन के डाक्टरों ने ही उपेक्षा की थी। इस लिए इस बार उनके समर्थन में भी अपेक्षित एकजुटता नहीं बन पायी।
वरिष्ठ पत्रकार शंभू दयाल वाजपेयी के फेसबुक वॉल से.