उन्नीसवी सदी में प्रकाशित कोई भी पुस्तक, जिसमें गाजीपुर जिले की चर्चा हो, और उसमें गजानन्द मारवाडी या गजानन्द सेठ की चर्चा न हो, खोज पाना र्दुलभ होगा। विभिन्न पुस्तकों, लेखों और जनश्रुति के आधार पर यह स्पष्ट है कि इस निराले व्यक्तित्व की सोच भी निराली थी। इनका मानना था कि सोचो वही जो लोकहित में हो। समझो वही जो लोकहित में हो और करो भी वही जो लोक हित में हो। निश्चित रूप से यह सर्वोत्तम सोच ही वह कारण था कि तत्समय में कोई भी कार्यक्रम चाहे वह सामाजिक हो धार्मिक हो या राजनैतिक, उसमें इनकी सक्रिय सहभागिता आवश्यक होती थी।
लोक हितार्थ तमाम कार्यक्रमों के साथ साथ जिले के नौजवानों के उज्जवल भविष्य के इस स्वप्न द्रष्टा द्वारा अपने आत्मीयजन कृष्ण देव नारायण सिंह एडवोकेटए उपेन्द्र नाथ सिंह वकील राम कृष्ण व्यवसायी वशीर हसन आव्दी एडवोकेट इन्द्रबहादुर सिंह वकील, जीडी अग्रवाल एडवोकेट, राजनारायण सिंह कृषक, चिरंजी लाल व्यवसायी, गुप्तेश्वर नाथ वकील और महिलाओं में श्रीमती एचके सेठ श्रीमती के वर्मा के साथ मिलकर जिले के किशोरों युवाओं को आग्नेयास्त्र का उचित प्रशिक्षण देने, अनुशासित एवं आत्मविश्वासी बनाकर नागरिक दायित्व की भावना जागृत करने के उद्देश्य से गाजीपुर रायफल क्लब का गठन किया। उस समय भारतीय लोक प्रशासन सर्वोत्तम प्रबन्धकीय/प्रशासनिक सेवाओं के लिए विख्यात था। अतः सर्वसम्मति से पदेन जिलाधिकारी अध्यक्ष बनाए गये। इसी क्रम मे कृष्ण देव नारायन सिंह उपाध्यक्ष, मेजर मनोहर लाल सचिव, उपेन्द्र नाथ सिंह वकील सयुक्त सचिव, श्रीमती एचके सेठ संयुक्त सचिव, गजानन्द मारवाड़ी कोषाध्यक्ष और रामकृष्ण एडीटर तथा अन्य 12 सदस्य चुने गये।
लोक हितार्थ निरन्तर चिन्तन करने वाले कर्मयोगी गजानन्द जी द्वारा जिले के नौजवानों का भविष्य सवाँरने के लिए क्लब का गठन किया गया किन्तु दुर्भाग्य वश क्लब गठन के चन्द महीनों बाद ही गजानन्द जी गोलोक वासी हो गये। क्लब के जनक के मरणोपरान्त क्लब के रुप मे मिली विरासत को हम सजों नहीं पाए, जिस हेतु हम जनपदवासी अपनी नई पीढी़ के अपराधी हैं। यदि ऐसी लापरवाही हम नहीं करते तो कोई कारण नहीं है इतने वर्षों में जिले के उत्साही युवक अपनी निशानेबाजी के माध्यम देश विदेश में कीर्ति मान स्थापित न किए होते।
आज हमारे युवा वर्ग में जो दिशाहीनता, विद्रोह, अपराधी मनोवृत्ति और प्रलोभनों के प्रति सहज समर्पण दिखाई दे रहा है, वह आने वाले भीषण संकट का संकेत है। अनुशासित, शिक्षित, स्वाभिमानी, जागरूक और निष्पक्ष चिन्तन करने वाले युवा ही आने वाले इस संकट से उबार सकते हैं। उनको तुच्छ तात्कालिक लाभों में उलझाने वाले कुटिल लोगों को समझना होगा और अपने भविष्य निर्माण के लिए यथार्थवादी तरीको से डट कर संघर्ष करना होगा। दरअसल भ्रष्ट सिस्टम और निरंकुश प्रशासन से टकरा पाना दमदार नौजवानो के ही बस की बात है।
गाजीपुर रायफल क्लब के नीति नियन्ता क्लब के मूल उद्देश्यों से भटक कर नौजवानों के भविष्य निर्माण की जगह क्लब हेतु जनता से प्राप्त चन्दे की धनराशी से भले ही क्लब के लिए भवन निर्माण और उसके साज सज्जा में व्यस्त रह कर जिले के नौजवानों की अनदेखी करें पर कचहरी स्थित रायफल क्लब नामक यह भवन सदा नौजवानों के हितों के रक्षक गजानन्द की तो दिलाता ही रहेगा।
शिवेन्द्र पाठक
गाजीपुर
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