झांसी। देश ही नहीं दुनिया के भी सभी लोग इस तथ्य से परिचित हैं कि अयोध्या में ही मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम पैदा हुए थे। सनातनी हिंदू परिवारों के लिए अयोध्या महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। वास्तव में यदि कोई हिंदू वहां जाकर परिक्रमा करना चाहता है तो वह किसी भी वक्त ऐसा कर सकता है। अपने धार्मिक क्रियाकलापों की रस्मों को पूरा करने के लिए देश के हिंदू विश्व हिंदू परिषद यानी विहिप जैसे संगठनों के मोहताज नहीं हैं।
वे प्रदेश में अमन, चैन चाहते हैं, तनाव नहीं। विहिप के नेताओं को मुगालता है कि वे ही हिंदुओं के असली पैरोकार हैं वास्तव में ऐसा है नहीं। विहिप का प्रस्तावित 84 कोसी परिक्रमा का कार्यक्रम एक पार्टी विशेष को सियासी लाभ पहुंचाने की मंशा से रचा गया ड्रामा है। अगर ऐसा नहीं होता तो विहिप के लोग इसे चुपचाप आयोजित करते। वे मीडिया की सुर्खियां बटोरने के प्रयास में नहीं जुटे रहते। ये बातें शनिवार को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के जनसंचार और प़त्रकारिता विभाग में आयोजित सेमीनार में उपस्थित वक्ताओं ने कहीं।
विभागाध्यक्ष डा. सी.पी. पैन्यूली के निर्देशन में आयोजित इस सेमीनार में वक्ताओं ने 84 कोसी परिक्रमा को लेकर कुछ तथाकथित संतो के बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि वे अपने बयानों हिंदू और मुसलिम समाज के बीच खाई खोदने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसा वे आगामी चुनाव की तिथियां नजदीक देखकर कर रहे हैं। वक्ताओं ने प्रदेश में अमन-चैन के लिए प्रदेश सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर संतोष जताया। अधिकांश वक्ताओं का कहना था कि इसी वर्ष अचानक विहिप को 84 कोसी परिक्रमा आयोजित करने की बात क्यों सूझी। पहले इसके नेता किस धुन में मगन थे। सेमीनार की शुरुआत में शिक्षक उमेश शुक्ल ने विषय प्रवर्तन किया। साथ ही विभिन्न जनसंचार माध्यमों में इस संबंध में प्रकाशित और प्रसारित खबरों का उल्लेख किया। सेमीनार में शिक्षक जय सिंह, सतीश साहनी, विद्यार्थियों अर्चना कुरील, ऐश्वर्या अग्रवाल, निधि वर्मा, आरती, साधना, अरविंद कुमार ने विचार रखे।
प्रेस रिलीज