मुंबई से खबर है कि महिलाओं की सुरक्षा के उपाय सुझाने के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाए गए पैनल ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में फेसबुक और मोबाइल पर पाबंदी लगाने की बात कही गई है। इसके अलावा अखाड़ों और व्यायामशालाओं में प्रशिक्षण देने वाले पहलवानों का भी उपयोग करने का सुझाव दिया गया है। राज्य सरकार ने बांबे हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश चंद्रशेखर धर्माधिकारी के नेतृत्व में एक पैनल का गठन कर महिलाओं की सुरक्षा के लिए सुझाव मांगे थे।
गुरुवार को पैनल की तीसरी अंतरिम रिपोर्ट बांबे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह और न्यायमूर्ति अनूप मोहता की खंडपीठ को सौंपी गई। इस रिपोर्ट में 31 सुझाव दिए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोबाइल, नेटवर्किग, फेसबुक और अश्लील संवादों व तस्वीरों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए, क्योंकि ये किशोरों को बर्बाद कर रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा इस पैनल का गठन 27 अक्टूबर, 2010 को हेल्प मुंबई फाउंडेशन नामक संस्था द्वारा बांबे हाई कोर्ट में दायर एक याचिका के बाद किया गया था।
सुझावों में ऐसे लोगों को भी आरोपी बनाने की सिफारिश की गई है, जो महिलाओं पर हो रही किसी अप्रिय घटना को देखते हुए भी चुप रहते हैं और समय रहते पुलिस को भी खबर नहीं करते। पैनल का मानना है कि ऐसे लोगों की चुप्पी महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को बढ़ावा देती है। पैनल ने महिलाओं के अंगप्रदर्शन वाले विज्ञापनों पर भी प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी देशों में तो पुरुषों के भी ऐसे चित्रण पर प्रतिबंध लगने लगा है, जबकि हमारे देश में यह जारी है। महिलाओं पर अत्याचार के मामले में सजा पाए लोगों का विवरण फेसबुक व ट्विटर पर जारी किया जाए। पैनल ने राजनीतिक दलों को ऐसे लोगों को टिकट न देने का सुझाव भी दिया है।