लम्बे समय अंतराल के बाद आज फिर भड़ास पर कुछ लिखने का मन हुआ। ‘नो वन किल्ड जसिका’ फिल्म रिलीज़ के वक्त मैंने उन पत्रकारों को लानत भेजी थी जो हत्यारों के एक चैनल व अखबार में कार्य कर रहे थे। आज एक बार फिर इस देश में आम आदमी की बात को दबाने के लिए कांग्रेस जिस चैनल का सहारा ले रही है, वह है इन्हीं हत्यारों का चैनल ‘इंडिया न्यूज़’। दरअसल कांग्रेस पार्टी से संबंधित एक नेता के चैनल को इन दिनों अरविंद केज़रीवाल एवं उनकी टीम के पीछे लगा दिया गया है। इस काम के लिए दीपक चौरसिया व उनके जैसे कई बड़े नामों को चैनल से जोड़ा गया है।
दरअसल विनोद शर्मा के कुपुत्र ने जब जेसिका लाल की हत्या की थी तो विनोद शर्मा ने अपनी राजनैतिक पहुंच से उसे बचाने के लिए एड़ी, चोटी का जोर लगाया। उस दौर में मीडिया के मज़बूत पहरे के आगे विनोद की राजनीति धरी की धरी रह गई। अब उसे समझ में आया कि शराब से कमाया पैसा और सत्ता की ताकत मीडिया की ताकत के आगे बौनी साबित हो गई। बस उसी क्षण उसने मीडिया को मुट्ठी में करने की ठान ली और लोहे से लोहे को काटने की युक्ति अपनाते हुए इंडिया न्यूज़ लांच कर दिया। एक के बाद एक तीन चार चैनल और ‘आज समाज’ नाम से एक अखबार भी बाजार में उतर आया। सारा तामझाम जुटाने के बाद भी विनोद को कुछ कमी खल रही थी। उसके सलाहकारों ने उसे समझाया कि ऐसे बड़े नामों को खरीद लाओ जिनके कारण चैनल में जान आ सके। योजना बनी और बिकने के लिए बाजार में उतरे पत्रकार बिक भी आए। एक दलाल को मुठ्ठी में करो तो उसके नेटवर्क की तमाम रंडियां खुद ब खुद मुठ्ठी में हो ही जाती हैं।
मुझे याद है कि मैं और मेरे एक करीबी पत्रकार जो इस समूह के अखबार से संबंधित थे, मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश के साथ चाय पी रहे थे। उन्होंने तब हिमाचल से इसे नया-नया ज्वाइन किया था। मुख्यमंत्री महोदय ने संभवतयः जानबूझ अनजान बन कर उनसे पूछा कि अखबार किसका है? और उन्होंने शर्मसार होते हुए असहजता से बात को घुमा दिया। मुख्यमंत्री ने उनकी परेशानी भांप ली और खुद ही कुछ और बात करने लगे। यह बात है उन पत्रकार महोदय की जो नुमाइंदगी करते हैं एक छोटे से राज्य हिमाचल की। तो अब जरा सोचिए ‘दीपक’ जैसा बड़ा नाम क्षमा करें कल तक वे मेरे लिए आदर्श दीपक चैरसिया जी थे, किंतु अब वह जर्नलिस्ट नहीं कातिलों का ‘गुर्गा’ है, जो पैसों के लिए नीलाम हो चुका है और बाकी पत्रकारों को भी इस कत्लगाह में पकड़-पकड़ कर ले जा रहा है। एक बार पुनः क्षमा याचना भड़ास के पाठकों से क्योंकि इस लेख में पत्रकारिता की मर्यादा की अनुपालना न की जा सकेगी। क्योंकि मर्यादाओं में रहकर काम करने वालों के लिए भाषाई मर्यादा नितांत जरूरी है किंतु अमर्यादित कृत्य करने वालों को सभ्य भाषा समझ आए, मैं इसके विपरीत सोचता हूं।
भाई दीपक मैं भी एक पत्रकार हूं। एक छोटे से पत्र से पत्रकारिता शुरू की थी और आज एडीटर इन चीफ मैं भी हूं। करीब 12 साल पहले मनाली में आपसे मिला था, तब तुम बाजपेयी जी की कवरेज़ के लिए मनाली आए थे। आपकी जांबाज पत्रकारिता का कायल था। जब कभी बात पत्रकारिता के आदर्शों की होती थी तो जुबां पर अनायास ही आपका नाम आ जाता था, किंतु आपके इस निर्णय ने आपको सचमुच गिरा दिया है। ‘दीपक’ मैं जानता हूं कि तुम पत्रकारिता में आए तो तुम्हारे भीतर एक दिल होगा और उसमें कुछ जज्बात भी पलते होंगे, तुमने इस निर्णय से अपने आप को कितना बड़ा धोखा दिया है यह तुम भली भांति जानते हो। कहते हैं आईना सच बोलता है। जरा आईने से पूछना और पत्रकारिता का वास्ता लेकर सच-सच बताना कि क्या तुम्हारा ज़मीर तुम्हें यह सब करने की इज़ाजत देता है। दीपक मैं जानता हूं यह सब ज़मीर को मार कर किया गया दुष्कृत्य है।
आज तुम्हारे कृत्य से पत्रकारिता के गाल पर झन्नाटेदार तमाचा बजा है। मीडिया से जुड़े होने के कारण दर्द हमें भी हुआ है। तुम जानते हो कि कांग्रेस द्वारा चुनाव को प्रभावित करने के लिए विनोद को अरबों की खैरात मिली है। कुछ टुकड़े तुम्हें भी फेंके गए हैं किंतु चुनाव के बाद तुम्हें जब दुत्कारा जाएगा तो क्या तुम तब भी किसी काबिल रह पाओगे। नहीं। कभी नहीं दीपक तब तक तुम्हारी आबरू नीलाम हो चुकी होगी। तुम्हारी हालत लुटी-पिटी अबला सी होगी जिसका अत्मबल दम तोड़ चुका होगा। कल तक का सितारा ‘दीपक’ जिंदा लाश बन चुका होगा। ‘दीपक’ पत्रकारिता कितनी गिर सकती है तुम उसका सबसे बड़ा उदाहरण बन चुके हो। यकीन मानो तुम वो नहीं हो, जो तुम लालच के वशीभूत होकर बनने की कोशिश कर रहे हो। तुमने आपना इतिहास और भूगोल तो खराब कर दिया अपने पत्रकार हृदय को भी छलनी कर डाला है, यार ऐसी नौकरी का क्या फायदा जिसमें तुम्हें मालूम है कि कल तुम्हारे और तुम्हारी टीम के कैमरे और माईक के घुंघरू बना कर विनोद तुम्हें कांग्रेस की महफिलों में नचवाया करेगा।
‘दीपक’ तुम जानते हो कि तुम वह पतंगे हो जो जलने के लिए आग की ओर निकल पड़े हो। विनोद का अतीत भी जानते हो और उसकी चाकरी के मायने भी समझते हो। उसका मकसद भी तुमने बाचा है और उसके इरादे भी पढ़े हैं, फिर ज़मीर से बड़ी कौन सी दौलत वो तुम्हें दे देगा जिससे तुम मालामाल हो जाओगे। ‘दीपक’ तुम्हें देश समझदार पत्रकार समझता था किंतु तुम सचमुच बेवकूफ निकले। सच पूछो तो जब मार्कण्डेय काटजू़ ने तुम्हें ज़लील कर निकाला तो दिल को राहत मिली। अरंविद केज़रीवाल ने तुम्हारे पत्रकार को सरेआम ज़लील किया तो तसल्ली हुई कि आज भी सब तुम्हारी तरह बिकाऊ नहीं हैं। कसम से ‘दीपक’ आज़ तुमने बाज़ार में अपनी कीमत लगवाई है। मैं आज़ तक पैसों के बारे कभी नहीं सोचता था किंतु आज के बाद इतने पैसे कमाऊंगा कि तुम और तुम्हारी तरह बिकाऊ पत्रकारों को खूंटे से बांध कर रखूंगा। और हां आज से तुम किसी भी पत्रकार के आदर्श नहीं बल्कि मीडिया पर कलंक हो। मेरा जो बिगाड़ना हो बिगाड़ लेना मोबाइल नम्बर और मेल आईडी और फोटो सभी कुछ दे रहा हूं। यार सच कहने से कब तक डरता रहेगा मेरा देश। और जब भड़ास जैसे माध्यम हैं तो दीपक और विनोद की तो बीप…बी….बीप.
लेखक गोपाल शर्मा पत्रकार हैं. इनसे संपर्क मोबाइल नम्बर 9041113113 के जरिए किया जा सकता है.