बिहार के समस्तीपुर जिले में तीसरे पायदान पर जा पहुंचे ‘दैनिक जागरण’ एवं शैक्षिक संस्थान ‘गुरुकुल’ के रहस्यमय संबंध की विस्तृत जानकारी भड़ास के माध्यम से जागरण प्रबंधन सहित देश एवं दुनिया को दी गई. भड़ास पर ‘दैनिक जागरण विज्ञापन और पैसे के लिए ऐसे करता है किसी संस्थान को ब्लैकमेल’ शीर्षक से खबर प्रसारित होने के बाद से जागरण का मुजफ्फरपुर यूनिट एवं समस्तीपुर कार्यालय हतप्रभ रह गया. उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि आम पाठक इतनी बारीकी से उनकी हरकतों को वाच करते होंगे. उस रिपोर्ट में प्रकाशित सभी बातें जागरण के लिए ‘कड़वा सच’ के समान था.
भड़ास पर खबर आने के दो-तीन दिनों तक जागरण ने खुद को संयमित रखा लेकिन बिहार में एक देहाती कहावत है ‘मुंह खाता है तो आंख लजाता है’। इसी फर्मूले पर चलते हुए जागरण ग्रुप ने शर्म-हया को ताक पर रखकर फिर से जिले के पूर्णतः वातानुकुलित शिक्षण संस्थान ‘गुरूकुल’ की गतिविधियों को समाचार के रूप में प्रकाशन कर ‘गुरूकुल’ के साथ वफादारी निभाना प्रारंभ कर दिया है। गुरूकुल अपने संस्थान के पूर्णतः वातानूकुलित होने का प्रचार-प्रसार इस तरह करता है जैसे वह विद्या का मंदिर न होकर रेस्ट हाउस या आवासीय होटल हो। यहां जागरण ग्रुप को बता देना चाहूंगा कि वे समस्तीपुर के पाठकों को मूर्ख नहीं समझें। इस जिले के पाठक काफी जागरूक एवं सजग हैं। उन्हें अब पेड न्यूज का मतलब खूब समझ में आता है। ऐसी क्या मजबूरी है कि एक धनबली के शिक्षण संस्थान की गतिविधियों को समाचार के रूप में प्रकाशित करके पाठकों को गुमराह किया जा रहा है। अखबार तो और भी हैं लेकिन वे जागरण की तरह अपने मान-मर्यादा को नहीं बेच रहे हैं।
दैनिक जागरण ने गुरूकुल के सहयोगी संस्थान की तस्वीर के साथ प्रकाशित समाचार में पर्यावरण जागरूकता के बहाने गुरूकुल को सुर्खियों में लाया है। यहां जागरण ग्रुप के दिमाग की दाद भी देना चाहूंगा कि अपने बचाव में उन्होंने आज गुरूकुल के समाचार के उपर में जिला मुख्यालय के एक अन्य शिक्षण संस्थान की शैक्षणिक गतिविधि को भी समाचार के रूप में प्रकाशित कर यह दिखाने की कोशिश की है कि वे सिर्फ गुरूकुल के प्रचारक नहीं हैं। लेकिन उनकी यह चालाकी प्रबुद्ध पाठकों से छुप नहीं सकी और लोग दोनों शिक्षण संस्थानों से संबंधित समाचार को बेहिचक ‘पेड न्यूज’ करार दे रहे हैं।
समस्तीपुर से विकास कुमार की रिपोर्ट.