उत्तर प्रदेश का सूचना विभाग, जो मायावती की चमचागिरी के लिए कुख्यात रहा है, लगता है अब भी अपना रवैया बदलने को तैयार नहीं है. उसने सीएम के रूप में अखिलेश के शपथ ग्रहण समारोह को कवर करने के लिए उन्हीं को पास देने का न्योता दिया है, जो मायावती की प्रेस कांफ्रेंस में रेगुलर जाते रहे हैं. इस फैसले से लखनऊ के मान्यता प्राप्त कई पत्रकार हैरान परेशान हैं. कई वरिष्ठ पत्रकार मायावती की पीसी में इसलिए नहीं जाते थे क्योंकि उनका खुला विरोध मायावती शासन की नीतियों से था.
कई स्वतंत्र पत्रकार जो मान्यता प्राप्त थे, मायावती की प्रेस कांफ्रेंस में इसलिए नहीं बुलाये जाते थे क्योंकि उन पर मायावती विरोधी होने का लेबल लगा दिया गया था. अब जबकि सपा की सरकार भारी बहुमत से सत्ता में आई है तो लगा था कि मायावती की चमचागिरी न करने वाले ढेर सारे पत्रकारों को भी शासन-प्रशासन की तरफ से सम्मान दिया जाएगा. लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है. मायावती शासनकाल की पत्रकारों के बीच भेदभाव करने की नीति को उत्तर प्रदेश का सूचना विभाग अब भी जारी रखे हुए है. इसी के तहत उसने उन्हीं लोगों को सीएम के शपथ ग्रहण के कवरेज का पास दिया है जो लोग मायावती के शासनकाल में माया की पीसी में नियमित रूप से आते थे. देखना है कि माया परस्त नीति को सूचना विभाग द्वारा जारी रखे जाने को कब बंद किया जाता है.
लखनऊ से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.