Awadhesh Kumar : आजकल देश चलाने का दंभ भरने वाले एक अंग्रेजी अखबार और स्वयं को बड़ा मानने वाले कुछ पत्रकार स्कूप के नाम पर ऐसी खबरें ला रहे हैं, जो उनकी ही समझ और जानकारी पर प्रश्न खड़ा करता है।
टाइम्स ने लीड कथा के रुप में छापा है कि प्रियंका गांधी ने वाराणसी से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की, लेकिन कांग्रेस ने उसे खारिज कर दिया। हालांकि इस खबर में रिपोर्टर का नाम नहीं है। क्या कोई यह विश्वास कर सकता है कि प्रियंका गांधी कुछ चाहें और पार्टी उसे खारिज कर दे? बहुत लोग मानते हैं कि प्रियंका को चुनावी राजनीति में आने से रोकने वाले लोग हैं जबकि वो इसके लिए तैयार हैं।
प्रियंका का बयान आ गया है कि वो स्वयं को अपने भाई एवं मां के क्षेत्र तक सीमित रखना चाहतीं हैं। प्रियंका से कोई जबरदस्ती बयान दिलवा देगा ऐसा मानने का कोई कारण नहीं है। उस परिवार की परंपरा में किसी बड़े नेता के खिलाफ वैसे भी चुनाव लड़ने का इतिहास नहीं है। नरेन्द्र मोदी के खिलाफ वे चुनाव लड़ना चाहेंगी, यह चंडूखाने की गप्प के अलावा कुछ नहीं हो सकता। इसी तरह कुछ दिनों पहले यह खबर लाई गई कि वरुण गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका के बीच यह बातचीत हुई है कि हमलोग दूसरे दलों में रहते हुए भी एक दूसरे का साथ दे सकते हैं। इसका आधार वरुण का वह बयान बनाया गया जिसमें उनने अमेठी में सेल्फ हेल्प ग्रूप के काम की बात की थी। वरुण ने एनजीओ और शिक्षकों की एक बैठक में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था कि मैंने उनका काम देखा नही है, लेकिन सुना है कि वहां सेल्फ हेल्प ग्रुप अच्छा काम कर रहे हैं।
अब प्रियंका गांधी ने वरुण के विरुद्ध बयान दे दिया है कि उन्हें हराया जाए वे रास्ता भटक गए हैं। पता नहीं इन तथाकथित बड़े पत्रकारों को अपनी नासमझी पर शर्म आएगी या नहीं? कुछ लोगों को लगता है कि कांग्रेस में नेहरु इंदिरा परिवार से जुड़़ीं ऐसी खबरें लाने से माना जाएगा कि उनका अंदर तक प्रवेश है और इससे उनका कद बढ़ जाएगा। इसलिए वे ऐसी चंडूखाने की गप्प्प को स्कूप बनाकर ला रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार के फेसबुक वॉल से.