राष्ट्रीय सहारा ने अपने देहरादून संस्करण का कंटेट सुधारने के लिए 'हस्तक्षेप' के संपादक दिलीप चौबे को तो भेजा ही है, अखबार की दूसरे अखबारों के साथ तुलनात्मक समीक्षा की जिम्मेदारी भी राजेश भारती से छीनकर हिमाचल टाइम्स के संपादक रहे और अब प्रभात के संपादक व भाषा एजेंसी के स्ट्रिंगर जय सिंह रावत को सौंप दी है। हालांकि समीक्षक का नाम गोपनीय होना चाहिए था लेकिन सहारा में ये अब ओपन सीक्रेट है।
पिछले कुछ दिनों से हो रही इस समीक्षा के चलते सहारा के लोग परेशान हैं। समीक्षक महोदय केवल देहरादून सिटी संस्करण की समीक्षा कर रहे हैं। इस तरह से तो कुमाऊं, गढ़वाल और हरिद्वार संस्करण के कंटेट को लेकर बात ही नहीं हो रही है। समीक्षक महोदय समाचारों पर ऐसी तीखी-तीखी टिप्पणियां कर रहे हैं कि जैसे लोग समाचार नहीं लिख रहे हों, शोध पुस्तक लिख रहे हों। दिलचस्प बात यह है कि उनकी टिप्पणियां कुछ खास रिपोर्टरों की खबरों पर ही केंद्रित हैं। जबकि उनसे पुराने ताल्लुकात वाले रिपोर्टरों की खबरें उनकी पैनी निगाह से छूट जा रही हैं।