झुंझुनू। राजस्थानी के लोकप्रिय साहित्यकार दुलाराम सहारण को भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता का प्रतिष्ठित युवा पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। परिषद की ओर से प्रतिवर्ष चार भारतीय भाषाओं के लिए दिया जाने वाला यह पुरस्कार किसी राजस्थानी साहित्यकार को पहली बार दिया जाएगा।
परिषद की सचिव डॉ कुसुम खेमानी ने बताया कि सहारण के अलावा इस वर्ष का यह पुरस्कार हिंदी के विमलेश त्रिपाठी, मराठी की भारती गोरे, मलयालम के समीत पीक को भी दिया जाएगा। जनवरी 2014 में कोलकाता में होने वाले समारोह में पुरस्कार स्वरूप सभी साहित्यकारों को इक्कीस-इक्कीस हजार रुपए नकद व सम्मान पत्र दिए जाएंगे। पुरस्कार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दुलाराम सहारण ने कहा कि राजस्थानी भाषा के लिए पुरस्कृत होने पर उन्हें गौरव की अनुभूति हो रही है। विभिन्न भाषाओं के साथ राजस्थानी के लिए परिषद की यह शुरुआत निस्संदेह मायड़ भाषा के विकास और युवा साहित्यकारों के प्रोत्साहन की दिशा में अहम साबित होगी। यह मेरा नहीं अपितु राजस्थानी भाषा और भाषा की मान्यता व समृद्धि के लिए जूझते रहे साहित्यकारों का सम्मान है।
उल्लेखनीय है कि जिले के गांव भाड़ंग में पिता मनफूल राम एवं मां जहरो देवी के घर 15 सितंबर 1976 को जन्मे दुलाराम सहारण इससे पूर्व साहित्य अकादमी नई दिल्ली के युवा साहित्यकार पुरस्कार के अलावा राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के भत्तमाल जोशी पुरस्कार 1996, श्रीमती बसंती देवी धानुका युवा पुरस्कार, ज्ञान फाउंडेशन सम्मान, साहित्य गौरव सम्मान 2013 सहित विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। राजस्थानी कहानी संग्रह 'पीड़' उनकी प्रसिद्ध पुस्तक है। इसके अलावा आत्मकथ्यांश संग्रह आंगणै री ओलू, राजस्थानी बाल उपन्यास जंगल दरबार, राजस्थानी बाल कहानी संग्रह क्रिकेट रो कड, हिंदी बाल कहानी संग्रह चांदी की चमक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने रवींद्रनाथ ठाकुर के उपन्यास का अनुवाद 'च्यार पाठ' शीर्षक से किया है।
इन दिनों वे राजस्थानी की पहली एवं इकलौती अनुवाद पत्रिका के प्रकाशन एवं संपादन से जुड़े हैं। साक्षात्कार संग्रह 'संपादक कहिन', राजस्थानी कहानी संग्रह 'नेक्स्ट डॉट कॉम', राजस्थानी उपन्यास 'माथाचूल' तथा 'जागती जोत संदर्भ ग्रंथ' उनकी आने वाली पुस्तकें हैं। राजनैतिक, सामाजिक गतिवधियों से जुड़े रहे सहारण साहित्य अकादमी नई दिल्ली के एडवायजरी बोर्ड में सदस्य रहे हैं तथा महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति से भी जुड़े हैं।
झुंझुनू से रमेश सर्राफ की रिपोर्ट