: कानाफूसी : नईदुनिया बिक गया? नईदुनिया को जागरण वाले टेकओवर कर रहे हैं? नईदुनिया की बागडोर एक अप्रैल से जागरण वाले संभाल लेंगे? इन सभी चर्चाओं के बीच जो एक नई बात नईदुनिया के ग्वालियर संस्करण से जुड़े लोगों को सताने लगी है वह है संस्थान में रखी संपत्ति की गिनती होना। पिछले दो दिनों से नईदुनिया ग्वालियर के संस्थान में इस बात की गिनती हो रही है कि कितने कंप्यूटर हैं। कितनी ट्यूबलाइटें हैं। कितने पंखें हैं। कितनी टेबल और कितनी कुर्सियां हैं?
न केवल इन सभी की गिनती हो रही है, बाकायदा इनकी नंबरिंग भी हो रही है। यानी हर एक चीज पर नंबर डाला जा रहा है। एयर कंडीशन और कूलरों पर भी नंबर डाले जा चुके हैं। स्टॉफ की गिनती पहले ही हो चुकी है और गणना के इस क्रम में तीन लोग बाहर हो चुके हैं। बाकी पर तलवार लटक रही है। बताते हैं कि जागरण में यह परंपरा है कि वह 'की' पोस्ट पर अपने भरोसे के लोग ही रखते हैं इसलिए 'की' पोस्ट में बैठे लोगों में दहशत है। वे दिल्ली-भोपाल-इंदौर की परिक्रमा कर रहे हैं। उस अखबार के मालिक की भी शरण में हैं, जिस मालिक के अखबार की ग्वालियर में लांचिंग के वक्त नईदुनिया में 'की' पोस्ट में बैठे लोगों ने पूरी ताकत लगाकर विरोध किया था।
खबर यह भी है कि इंदौर से प्रकाशित एकमात्र एडिशन वाले अखबार को ग्वालियर लाने के अलावा एक चिटफंडिए के अखबार की ग्वालियर से भी लांचिंग के लिए यह हाथ-पांव फटकार रहे हैं। लेकिन कुल मिलाकर नईदुनिया में काम करने वालों के लिए यह शुभ संकेत नहीं हैं। उन्हें डर लग रहा है कि नए वित्तीय साल में कितने लोगों की नौकरी रहेगी और कितने लोगों को नई नौकरी की तलाश में भरी गर्मी में पसीना बहाना होगा?