सीहोर : चुनावों में न्यूज चैनल अब छोटे बड़े शहरों में जाकर बहस करवाने लगे हैं. ऐसा ही एक निजी न्यूज़ चैनल के द्वारा आयोजित बहस के कार्यक्रम में जमकर हंगामा हुआ, नौबत यहां तक आ गई कि बहस के कार्यक्रम को आधे में ही रोकना पड़ा. सीहोर के बाल बिहार ग्राउंड में चल रही इस बहस के कार्यक्रम में बीजेपी, कांग्रेस, सीहोर विकास पार्टी के कार्यकर्ता मौजूद थे. कार्यक्रम के शुरू होते ही कार्यकर्ता अपनी-अपनी पार्टी के नारे लगाने लगे. बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने तो कांग्रेस को बलात्कारी कह डाला तो कांग्रेस के कार्यकर्ताओ ने बीजेपी कार्यकर्ताओं पर जमकर निशाना साधा. सीहोर विकास पार्टी को घेरने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने आपस में सांठ-गांठ कर ली.
तीनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं की तमीज देखने लायक थी सारी पार्टियां एक दूसरे पर गालियां देने में भी पीछे नहीं थी. जब मुंह से बात नहीं बनी तो बीजेपी के कार्यकर्ता ढोल बजाने लगे तो कांग्रेस और सीहोर विकास पार्टी वाले भी पीछे नहीं रहे. मजे की बात ये थी कि पुलिस वाले ना तो इन्हें रोकने आये ना ही आपत्ति जताई बल्कि वो भी आराम से पीछे हाथ बांधे मजे लेते रहे. निर्वाचन आयोग के लोगों ने भी पार्टी के आपसी घमासान का जमकर मजा लिया.
लेकिन सवाल ये उठता है कि चुनाव आयोग हर बात की रिकार्डिंग करता है तो क्या वो इस तरह के व्यवहार को चुनाव के समय सही मानता है कि जिसमें प्रचार के दौरान होने वाले कार्यक्रमों के दौरान पार्टी कार्यकर्ता हुल्लड़बाजी करें, अपशब्दों का प्रयोग करें और पुलिस पीछे हाथ बांधे खड़ी रहे. जरा सोचिए कि इसी हंगामे के दौरान कोई दुर्घटना घट जाती तो कौन जिम्मेदार होता?