नीरज अग्रवाल जी समझ में नहीं आ रहा है कि क्या कहें मगर फिर भी जो समझ में आ रहा है उसका जबाब यह है आप कह रहे हैं कि हमने अपने संस्थान में इनका कार्यक्रम करवाना चाहा तो इन्होने बार बार कैश मांगा अब कैश मांगना कोई गुनाह तो है नहीं. (शायद आप अनुरंजन झा का स्टिंग देखकर कैश कैश बोल रहे हों) भारत सरकार का कोई भी कानून किसी व्यक्ति को कैश में लेनदेन करने से नहीं रोकता है और इसका दूसरा मतलब यह भी तो हो सकता है कि कुमार विश्वास को आप के संस्थान पर भरोसा ही न हो. मतलब हो सकता हो कि कुमार विश्वास को लगा होगा कि वह फोकट में कविता पढ़ लेंगे और आप बाद में पेमेंट करोगे ही नहीं यार बंदे को चेक बाउन्स होने का डर भी तो होता है.
मेंने कहा हमारे ट्रस्ट में नगद भुगतान संभव ही नहीं है तो यह बोले कि आपको सर्विस टैक्स देना पड़ेगा. इस पर हमने कहा कि हमें सर्विस टैक्स देने में कोई भी दिक्कत नहीं है आप इन्वोइस भेज दें. इन्होने सर्विस टैक्स लगाकर बिल भेज दिया, मगर उस पर अपना सर्विस टैक्स नंबर नहीं डाला. (कुल मिलकर यही समझ में आया क्यूंकि कुमार साहब के पास सर्विस टैक्स नंबर था ही नहीं. इन्होने सर्विस टैक्स गलत जोड़ा) कानूनन आप सर्विस टैक्स को मूल राशि में पहले से जोड़कर नहीं लिख सकते. फिर इन्होंने टीडीएस कटवाने से मना कर दिया. आखिर में कहा कि आप एक लाख रुपये कैश दे दीजिए. न सर्विस टैक्स लगेगा और न ही आपको टीडीएस काटना पड़ेगा.
अब इसको इस तरह समझिए. कुमार विश्वास से एक लाख रुपये में बात हुई. कुमार साहब ने उस पर सर्विस लगाकर अपना बिल भेज दिया यानि अगर एक लाख पर सर्विस टैक्स जोड़ा जाए तो 12.36% के हिसाब से कुमार साहब ने अपना बिल भेजा एक लाख बारह हज़ार तीन सौ साठ का. इसे इस तरह समझिए(एक लाख+एक लाख का 12.36% याने एक लाख+बारह हज़ार तीन सौ साठ). अब आप कुमार साहब को टीडीएस काटकर पेमेंट करेंगे एक लाख एक हज़ार एक सो चौबीस रुपये का, यानि एक लाख बारह हज़ार तीन सौ साठ का 10% ग्यारह हज़ार दो सौ छत्तीस काट लेंगे.
अब सच्चाई देखिये – आप कह रहे हैं कि आपके ट्रस्ट में नगद भुगतान संभव ही नहीं है ठीक है आपकी बात मान ली मगर भाई साहब एक बात बताएंगे कि अगर आपका ट्रस्ट है तो कानून आप टीडीएस काट ही नहीं सकते क्यूंकि ट्रस्ट कोई भी हो उसको TANTAN Number मिलता ही नहीं है. शायद आपको पता ही होगा बिना TANTAN Number के आप टीडीएस काट ही नहीं सकते. ट्रस्ट पर किसी तरह का कोई भी टैक्स नहीं लगता है. इसलिए कोई भी ट्रस्ट ना तो आयकर का भुगतान करता है और ना ही किसी तरह का कोई कर काट सकता है, (भूल गए केजरीवाल और बाबा रामदेव और अन्ना पर लगाये गए आरोप कि यह लोग ट्रस्ट बनाकर लोगों से पैसा लेते हैं. इन्होने ट्रस्ट बनाये ही इसलिए हैं ताकि किसी तरह का कोई भी टैक्स न देना पड़े ). तो यहां पर आप गलत हो. दूसरी बात जब आप कह रहे हो कि हमने टीडीएस काटने को कहा यहां पर भी आप गलत हो जब कोई पेमेंट ही नहीं हुई तो आपने टीडीएस किस तरह काट लिया. वैसे भी आप बिना TANTAN Number के टीडीएस काट ही नहीं सकते, इसलिए टीडीएस की बात ही फर्जी है. इससे आप ही गुनाहगार साबित होते हो तीसरी बात कुमार साहब ने सर्विस टैक्स जोड़ा यहां पर भी आप गलत हो भाई कुमार विश्वास ने आपको कौन से सर्विस दी जो उन्होंने सर्विस टैक्स बिल में जोड़ दिया.
वैसे भी किसी भी कवि या शायर का कविता या शेर पढ़ना सर्विस टैक्स के दायरे में नहीं आता है शायद आपको मालूम नहीं होगा मगर तीन चार वर्षों पहले तक उन फिल्म स्टारों को भी सर्विस टैक्स से छूट मिली हुई थी. जो करोड़ों में भुगतान लेते हैं. यहां तक कि पेंटर जैसे दिवंगत मकबूल फिदा हुसैन आदि जिनकी पेंटिंग करोड़ों में बिकती है, को भी सर्विस टैक्स में छूट मिली हुई है. बाबा रामदेव के योग शिविरों जिन में कांग्रेस के अनुसार लोग लाखों रुपये दे कर योग सीखते हैं पर भी सर्विस टैक्स नहीं लगता है मगर कमाल है आपको पता ही नहीं है कि कुमार साहब सर्विस टैक्स ले भी सकते हैं या नहीं. भाई एक और बात आपने लिखा है कि कानूनन आप सर्विस टैक्स को मूल राशि में पहले से जोड़कर नहीं लिख सकते यार इसका मतलब समझ में नहीं आया भाई दो ही तरीके हो सकते हैं या तो उन्होंने बिल इस तरह भेजा होगा कि एक लाख+सर्विस टैक्स 12360/- तब भी कुल बिल एक लाख बारह हज़ार तीन सौ साठ का ही बनेगा और फिर शायद उन्होंने बिल में लिखा होगा नेट अमाउंट एक लाख बारह हज़ार तीन सो साठ सर्विस टैक्स सहित. अब एक बात बताओ कुल बिल तो एक लाख बारह हज़ार तीन सो साठ का ही बना ना. "भाई कोण से इस्कूल से पढ़े हो लागे है ढंग से पढाई ना करी तने" शायद तुम्हारे जैसे लोगों के लिए ही कहा गया है कि अधजल गगरी छलकत जाए इंगरेजी में बोलूं तो a little knowlledge is very dangerous. इसलिए थोडा और अध्यन कीजिए. सर्विस टैक्स और इनकम टैक्स पढ़िए. फिर आप बकवास नहीं करेंगे. रही बात इनवाइस की तो आजकल कोई भी फोटोशॉप से कुछ भी बना सकता है. (हालाँकि कानूनन कुमार विश्वास अपना बिल बना ही नहीं सकते, खैर यह बहस का मुद्दा भी नहीं है, लेख लंबा हो जायेगा यहां पर भी आप ही झूठे साबित होंगे) इनका कोई महत्व नहीं है. हाँ अगर कुमार साहब की वह मेल आपके पास है जिसमें उन्होंने अपना बिल नत्थी means attatch कर के भेजा है तो उसे सबूत माना जा सकता है. मगर उस में भी सर्विस टैक्स नंबर नहीं लिखा है और न ही बिल में सर्विस टैक्स का कोई ज़िक्र हुआ है इसलिए आप साबित ही नहीं कर सकते कि कुमार साहब आपसे कथित तौर पर सर्विस टैक्स भी ले रहे थे. याने यहां भी ठन ठन गोपाल. और रही फोन रिकॉर्डिंग की बात भाई साहब पहले तो किसी की रिकॉर्डिंग करना ही अपने आप में जुर्म है, टेलीग्राफ एक्ट के तहत किसी की फोन काल रिकॉर्ड करना जुर्म है. फिर उसको एक साल तक संभाल कर रखना अपने आप में शक पैदा करता है. किस तरह साबित करोगे कि बात करने वाला कुमार विश्वास ही है शायद आप दूसरा अनुरंजन झा बनना चाहते हैं, शायद आप चाहते हैं कि कोई आप से वह रिकॉर्डिंग खरीद ले 10-20 करोड़ तो मिल ही जायेंगे (अगर केजरीवाल की बात माने तो कि स्टिंग पर 1700/- करोड का खर्चा आया है तो रिकॉर्डिंग पर 10-20 करोड तो मिल ही जायेंगे ) याने कुल मिला के न तो आपको भारतीय कानूनों का पता है और न ही सर्विस टैक्स और इन्कम टैक्स की कोई जानकारी है.
अंत में, शायद आपने अभी-अभी कुमार विश्वास का स्टिंग देखा है जिसमें वह पचास हज़ार की बात कर रहे हैं. अब दोस्त हिंदी कवियों के इतने भी अच्छे दिन नहीं आये हैं कि उन्हें एक सम्मलेन के पचास हज़ार या एक लाख रुपये मिल जाएं. मेंने तो यहां तक सुना है कि 26 जनवरी को जो कवि सम्मेलन लाल किले पर होता है उसमें अच्छे से अच्छे कवि को भी भारत सरकार दस बीस हज़ार से ज्यादा नहीं देती हैं. फिर आपका ट्रस्ट कौन सा काम करता है कि आप एक मंचीय कवि को एक लाख रुपये भी दे सकते हो. अब कुमार विश्वास मिर्ज़ा ग़ालिब जैसा भी नहीं है. याने इतना अच्छा कवि भी नहीं है. फिर आपका ट्रस्ट उन्हें एक लाख रुपये दे रहा था इसलिए में तो यही कहूंगा कि गोलमाल है भाई सब गोलमाल है.
लेखक प्रकाश पत्रकार हैं. इनसे संपर्क 09818851861 के जरिए किया जा सकता है.