आर्थिक दुश्वारियों और संपादकीय अराजकता से जूझ रहे आलोक मेहता के संपादकत्व वाले अखबार नेशनल दुनिया के रविवार को प्रकाशित होने वाले संडे नेशनल दुनिया मैग्जीन को बंद कर दिया गया है. आलोक मेहता नईदुनिया के दौर से संडे स्पेशल के तौर पर 48 पेज का मैगजीन प्रकाशित करते थे, जो उनके नेशनल दुनिया में आने के बाद भी जारी रहा. पर खबर है कि अब इसे बंद कर दिया गया है. सूत्रों का कहना है कि प्रबंधन चार दर्जन पेज के इस सफेद हाथी को पालने को अब तैयार नहीं है.
प्रबंधन ने अखबार के खर्चों में कटौती की प्रक्रिया शुरू करते हुए इस पत्रिका पर गाज गिरा दी है. आज रविवार के दिन संडे नेशनल दुनिया मैग्जीन की जगह चार पेज का परिशिष्ट अखबार के साथ प्रकाशित किया गया है. नए चार पेजी संडे परिशिष्ट में लवमंत्र जैसे कॉलम को बरकरार रखा गा है. सूत्रों के मुताबिक आलोक मेहता की इस पत्रिका को निकालने की जिद ने नईदुनिया की भी ऐसी तैसी करा दी थी, जिसके बाद विनय छजलानी के पास इसे बेचने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया था. अब नेशनल दुनिया प्रबंधन भी उसी स्थिति में पहुंच गया है. वैसे भी यहां काम करने वाले पत्रकारों को कई महीनों से सैलरी नहीं मिल रही है. मैग्जीन बंद होने के बाद इन चर्चाओं को जोर मिल गया है कि देर सबेर नेशनल दुनिया अखबार का प्रकाशन भी प्रबंधन बंद कर देगा या इसे किसी को बेच देगा. संभव है, तब आलोक मेहता खुद के लिए कोई नया जुगाड़ कर लें लेकिन संकट उनके साथ जुड़े कर्मियों के सामने है. वे न घर के रह जाएंगे और न घाट के.