नई दिल्ली। दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट के महासचिव एसके पांडे ने कहा कि पत्रकार मोहम्मद अहमद काजमी को बिना किसी शर्त के तुरंत जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में पीआईबी मान्यता प्राप्त पत्रकार को इस प्रकार गिरफ्तार करना निंदनीय है। काजमी की गिरफ्तारी से पत्रकार आहत हैं और इसे मीडिया व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले के रूप में देख रहे हैं। वे इंडिया गेट पर पत्रकार मोहम्मद अहमद काजमी की गिरफ्तारी के विरोध में आयोजित कैंडिल मार्च को संबोधित कर रहे थे।
नम आंखों से इस मार्च में पत्रकार काजमी की पत्नी जहांआरा, बेटा शोहजब व अन्य परिचितों ने भाग लिया। पत्रकार काजमी की पत्नी ने कहा कि मेरे पति बेकसूर हैं। उन्हें सोची समझी साजिश के तहत फंसाया गया है। वे देशभक्त हैं। नम आंखों से अहमद काजमी के पुत्र शोहजब काजमी ने कहा कि मेरे पिता नेशनल हीरो हैं। जामा मस्जिद युनाइटेड फोरम के अध्यक्ष याहया बुखारी ने कहा कि देश को देशवासी चलाएं न कि अमरीका और इस्राइल। पत्रकार मोहम्मद अहमद काजमी निर्दोष हैं और उनके समर्थन में यह आंदोलन की शुरुआत है जो देशव्यापी स्तर पर चलाया जाएगा। हम खुद जामा मस्जिद से यह आंदोलन चलाएंगे और इसे देशभर में ले जाएंगे।
वरिष्ठ पत्रकार सईद नकवी ने कहा कि मोहम्मद अहमद काजमी को जबरदस्ती फंसाया गया है। यह हम सभी पत्रकारों पर हमला है। एक ऐसा पत्रकार जो प्रधानमंत्री के साथ कई प्रतिनिधिमंडलों में पत्रकार के रूप में भाग ले चुका है उसे इस प्रकार गिरफ्तार करना चिंता और निंदा का विषय है। श्री नकवी ने कहा कि यह एक दुखद घटना है कि विदेशी मामलों व कई भाषाओं के जानकार काजमी को इस प्रकार गिरफ्तार किया गया। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डॉ कल्बे सादिक ने कहा कि इस किस्म की गिरफ्तारियों का एक लम्बा सिलसिला है। इस अवसर पर इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के अध्यक्ष सिराजुद्दीन कुरैशी ने कहा कि हम पत्रकार काजमी को काफी समय से जानते हैं, वे ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते। उर्दू अकादमी के वाइस चेयरमैन प्रो अख्तरुल वासे ने कहा कि काजमी को गिरफ्तार किए बिना भी उनसे पूछताछ की जा सकती थी। वे कहीं भाग नहीं रहे थे। प्रतिष्ठित व वरिष्ठ पत्रकार को इस प्रकार गिरफ्तार करना सही नहीं है। साभार : सहारा