इलाहाबाद : सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार सीमा आज़ाद को इलाहाबाद हाइकोर्ट से ज़मानत मिल गई है। देशद्रोह के आरोप में निचली अदालत ने सीमा आजाद को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सीमा को फरवरी 2010 को दिल्ली से इलाहाबाद पहुंचने पर स्टेशन पर ही गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने सीमा आज़ाद और उनके पति विश्व विजय पर देशद्रोह का मामला बनाया था और उनके पास से बड़ी संख्या में नक्सली साहित्य बरामद होने का दावा किया था। सीमा आजाद की रिहाई के लिए मानवाघिकार संगठनों ने आंदोलन भी चलाया था।
पत्रकार और मानव अधिकार कार्यकर्ता सीमा आज़ाद और उनके पति विश्व विजय पर पुलिस ने देश द्रोह का मामला बनाया था। उन्हें एक निचली अदालत ने इस आरोप में उम्र कैद की सज़ा सुना दी। इलाहाबाद हाइकोर्ट ने उन्हें ज़मानत देकर इंसाफ़ का भरोसा बनाए रखा है। सालों से सीमा गरीबों की आवाज उठा रही थीं। सीमा लोगों की आवाज उठाने के लिए दस्तक नाम की एक मैग्जीन भी निकाल रही थी। सीमा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से साइकोलॉजी में एमए किया था और एक हमख्याल साथी से विश्वविजय से शादी की।
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने दोनों पर इल्जाम लगाया था भारत सरकार से युद्ध छेड़ने का। पुलिस का कहना है कि दोनों मिलकर केंद्र तख्तापलट कर माओवादी सरकार बनाना चाहते हैं। इसलिए दोनों देशद्रोही हैं। सीमा आजाद के वकील रवि किरण का कहना है कि पुलिस की दलील है कि जो झोले के अंदर से साहित्य मिला उसे पढ़ने से पता चलता है कि ये लोग आतंकवादी है, गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं, आतंकवादी हैं और देशद्रोही हैं। किरण का कहना है कि पुलिस दोनों के खिलाफ एक भी अपराध साबित नहीं कर पाई। जो साहित्य अदालत में पेश किया गया उसकी सील टूटी हुई थी।
सीमा के साथियों का कहना है कि सीमा से सत्ता से जुड़े लोग नाराज थे। क्योंकि सीमा जबरन जमीन अधिग्रहण के खिलाफ, गैरकानूनी खुदाई और मायावती के गंगा एक्सप्रेसवे जैसी योजनाओं के खिलाफ अपनी मैग्जीन में मुहिम चला रही थीं। सीमा के पिता एमपी श्रीवास्तव का कहना है कि यह यब पुलिसिया साजिश थी और उसकी गिरफ्तारी अन्याय है। (एनडीटीवी)