इन दिनों पत्रिका, ग्वालियर राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। ग्वालियर में अखबार और संस्थान के लिए काम को छोड़कर बाकी सभी काम हो रहे हैं। हालात देखकर यह कहना भी गलत नहीं होगा कि यदि जयपुर में बैठे वरिष्ठ अधिकारियों ने जल्द ध्यान न दिया तो ग्वालियर में पत्रिका कहीं नवभारत अखबार की राह पर न चला जाए। कार्यकारी रिपोर्टिंग प्रभारी प्रवीण मिश्रा का अहमदाबाद तबादला होने के बाद इंदौर से शैलेश दीक्षित को कार्यकारी चीफ रिपोर्टर बनाकर ग्वालियर पत्रिका भेजा गया है।
शैलेश को ग्वालियर भेजने के पीछे वरिष्ठों का तर्क था कि वो अखबार को अपने सुझाव और कार्यशैली से रिपोर्टिंग टीम में सामजस्य स्थापित कर भास्कर और नई दुनिया को मात देंगे। पर शैलेश के आने के बाद तो भी पत्रिका को कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है। पत्रिका न सिर्फ रोजाना नई दुनिया और भास्कर से खबरों के मामले में पिछड़ रहा है, बल्कि मौजूद खबरों में भी तथ्यों से काफी पीछे रहता है। अब तक भास्कर से कंप्टीशन करने वाला पत्रिका अब नई दुनिया को टक्कर देना तो दूर सामने खड़ा भी नहीं हो पा रहा है। पुष्टि के लिए यदि एक माह के तीनों अखबार देख लिए जाए तो बात अपने आप प्रमाणित हो जाएगी। वहीं भास्कर और नई दुनिया ने पत्रिका को अपनी मार्निंग मीटिंग और समीक्षा से बाहर कर दिया है।
शैलेश जयपुर और इंदौर भेजी जाने वाली रोजाना की समीक्षा रिपोर्ट में भी सही सूचना नहीं भेज रहे हैं। वैसे शैलेश पद में महज रिपोर्टर हैं, लेकिन स्टेट हेड अरुण चौहान का खास होने के चलते उन्हें ग्वालियर रिपोर्टिंग का जिम्मा सौंपकर भेजा गया है। इसके चलते वो ग्वालियर के रिपोर्टरों को डराने में इसका बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं। वे खुलेआम स्टाफ को देखलेने और तबादले की धमकी दे डालते हैं। इतना ही नहीं उन्होंने हाल ही में रिपोर्टिंग टीम और उनकी बीटों में भी बड़ा फेरबदल किया है, जिसमें काम करने वालों से प्रमुख बीट लेकर कथित दलाल पत्रकारों को भारी भरकम बीट सौंपी गई है, जबकि उन्हें रुटीन बीट में काम करने का अनुभव ही नहीं है। इसका सीधा असर रिपोर्टिंग पर पड़ रहा है।
दूसरी चर्चा यह भी है कि अरुण चौहान ग्वालियर के स्थानीय संपादक सिद्धार्थ भट्ट को पसंद नहीं करते हैं। इस वजह से भट्ट पर दवाब बनाने के लिए शैलेश को फ्री हैंड किया गया है। शैलेश के ग्वालियर आने के बाद न सिर्फ रिपोर्टिंग स्टाफ में भारी असंतोष है, बल्कि स्थानीय संपादक सिद्धार्थ भट्ट के भी पर कतर गए हैं। चीफ फोटोग्राफर महेश झा की झूठी शिकायत कर तबादला करवाने में भी उनका ही हाथ माना जा रहा है। शैलेश दीक्षित ग्वालियर भी दूसरी बार आए हैं। शैलेश इसके पहले नई दुनिया की लाचिंग टीम के हिस्सा थे। खैर, पत्रिका, ग्वालियर का समस्त स्टाफ जयपुर में बैठे वरिष्ठ अधिकारियों से सिर्फ एक ही निवेदन करता है कि एक बार ग्वलियर पत्रिका की समीक्षा करवाई जाए। ग्वालियर के स्टाफ में बेहद असंतोष व्याप्त है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.