पद्म पुरस्कारों में उठते तमाम विवादों के दृष्टिगत सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच में एक रिट याचिका दायर किया है. उन्होंने प्रार्थना की है कि गृह मंत्रालय एवं प्रधानमंत्री कार्यालय को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुझाए गए राष्ट्रीय चयन समिति का गठन और मात्रात्मक एवं गुणात्मक रूप से स्पष्ट अर्हता निर्धारित करने हेतु निर्देशित किया जाये. उन्होंने यह भी प्रार्थना की है कि पद्म पुरस्कारों के प्रोफोर्मा में धर्म और जाति (एससी/एसटी/ओबीसी/सामान्य) का जिक्र हटाया जाये.
एनआरआई संत चटवाल से ले कर राजेश खन्ना को विलम्ब से ये पुरस्कार दिये जाने जैसे तमाम विवादों का उल्लेख करते हुए ठाकुर ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में बहुत सारे निर्देश बालाजी राघवन/ एसपी आनंद बनाम भारत सरकार (1996 (1) एससीसी 361) के अपने निर्णय में दिये थे, जिनमें लोक सभा अध्यक्ष, भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके प्रतिनिधि, लोक सभा में विपक्ष के नेता आदि की समिति बनाया जाना शामिल था, पर इन सुझावों को दरकिनार किया गया जिसके कारण लगातार विवाद और शिकायतें आती रहती हैं. यह प्रकरण 30 जनवरी 2013 को जस्टिस उमा नाथ सिंह और जस्टिस वी के दीक्षित की बेंच के सामने सुना जाएगा.