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परमाणु उत्तरदायित्व कानून का उल्लंघन कर अमेरिकी कंपनी से करार की तैयारी!

: 22 रुपये प्रति यूनिट की परमाणु बिजली राष्ट्र हित में नहीं : आल इन्डिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि यदि परमाण उत्तदायित्व कानून का उल्लंघन कर अमेरिकी कम्पनी से परमाण बिजली रियक्टर का करार  किया गया तो देश भर के 12 लाख से अधिक बिजली कर्मचारी इंजीनियर इसका पुरजोर विरोध करेंगे। फेडरेशन ने सम्भावित करार को जनविरोधी बताते हुए कहा कि इससे बनने वाली बिजली की लागत 22 रूपये प्रति यूनिट आयेगी, जो राष्ट्रहित में नहीं है।

: 22 रुपये प्रति यूनिट की परमाणु बिजली राष्ट्र हित में नहीं : आल इन्डिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि यदि परमाण उत्तदायित्व कानून का उल्लंघन कर अमेरिकी कम्पनी से परमाण बिजली रियक्टर का करार  किया गया तो देश भर के 12 लाख से अधिक बिजली कर्मचारी इंजीनियर इसका पुरजोर विरोध करेंगे। फेडरेशन ने सम्भावित करार को जनविरोधी बताते हुए कहा कि इससे बनने वाली बिजली की लागत 22 रूपये प्रति यूनिट आयेगी, जो राष्ट्रहित में नहीं है।

फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल शैलेन्द्र दुबे ने आंकड़े देते हुए बताया कि अमेरिकी कम्पनी वेस्टिंग हाउस इलेक्ट्रिक कम्पनी से होने वाले करार में लगने वाले परमाणु बिजली घर पर प्रति मेगावाटर 40 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा, जब कि भारत में लगने वाले कोयला आधारित बिजली घरों का खर्च 4.00-4.50 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट आता है। दस दुना अधिक खर्च के चलते परमाणु बिजली घर से उत्पादित बिजली का मूल्य 22 रुपये प्रति यूनिट आयेगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था चरमरा जायेगी। उन्होंने बताया कि अभी 20 रियेक्टरों से 4780 मेगावाट बिजली पैदा होती है। अब वेस्टिंग हाउस कम्पनी से 1000 मेगावाट क्षमता के छह परमाणु रिक्टर खरीदने का प्रस्ताव है।

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के दौरान न्यूक्लियर पावर कारपोरेशन और वेस्टिंग हाउस इलेक्ट्रिक कम्पनी के मध्य होने वाले करार में परमाणु उत्तरदायित्व कानून-2010 के प्रावधानों को शिथिल किया जोगा। संसद द्वारा पारित कानून के अनुसार परमाणु बिजली संयत्र में खराबी या दुर्घटना होने पर उससे होने वाली जन धन की क्षति की सारी भरपाई रियेक्टर आपूर्त करने वाली कम्पनी की होगी। विवाद यह है कि सुरक्षा सम्बन्धी कैबिनेट समिति ने कानून की धारा-17 को शिथिल करने की सिफारिश की है।

उन्होंने कहा कि जनरल इलेक्ट्रिक और वेस्टिंग हाउस कम्पनी अमेरिकी सरकार पर भारत से कानून शिथिल कर समझौता करने का दबाव बना रही है, जिसे राष्ट्र हित में कदापि स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। भारत सरकार का 2032 तक 60 हजार मेगावाट परमाणु बिजली उत्पादन का लक्ष्य है। परमाणु ऊर्जा से उत्पादित बेहद महंगी बिजली खरीदने के लिए राज्यों को विवश होना पड़ेगा, जिससे अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमारा जायेगी। आल इण्डिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन इस बाबत न्यूक्लियर पावर कारपोरेषन के अभियन्ताओं से सम्पर्क कर व्यापक रणनीति तैयार करेगा।

प्रेस विज्ञप्ति

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