परवीन ने कहा- सुप्रीम कोर्ट से कराई जाए जांच की निगरानी, राजनीति में जाने के दिए संकेत

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देवरिया। परवीन आजाद ने अपने पति के पैतृक गांव अर्थात खुखुन्दु थाने के जुआफर से लखनऊ के लिए रवाना होते समय देवरिया जिला मुख्यालय पर पहॅुचने पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह मांग उठाई कि सीबीआई द्वारा किए जा रहे जांच की अवधि काफी लम्बी हो सकती है। इसलिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई द्वारा की जा रही इस जांच की निगरानी की जानी चाहिए तथा एक निश्चित समय सीमा के अन्दर जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए सीबीआई को बाध्य करना चाहिए। परवीन आजाद ने बतौर उदाहरण गोण्डा जिले के पुलिस अधिकारी रहे केपी सिंह की हत्याकाण्ड की चर्चा की। उन्होंने कहा कि कुण्डा काण्ड का भी फैसला कहीं तीस साल बाद न हो इसलिए यह सब करना अत्यन्त आवश्यक है।

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के कुण्डा में 2 मार्च को हुए तिहरे हत्याकाण्ड में मारे गए डिप्टी सीओ जियाऊल हक की पत्नी परवीन आजाद का चेहरा रफता-रफता एक माहिर राजनीतिक खिलाड़ी के रूप में सामने नजर आता जा रहा है। परवीन आजाद को बखूबी पता है कि कब कौन सी चाल चलनी है जिससे सियासत दां के साथ-साथ आम-आवाम की सहानुभूति इकट्ठी जा सकती है। याद कीजिए 4 मार्च का वह दिन जब उन्होंने अपने ससुराल में अपने मायके वालों के बीच बैठकर शासन प्रसाशन को यह अल्टीमेटम देकर कि जब तक मुख्यमंत्री नहीं आएंगे मरहूम जियाऊल हक के शव को मिट्टी नहीं दी जाएगी और वे लखनऊ में उनकी लाश के साथ धरना प्रदर्शन और अनशन करेंगी।

परवीन आजाद ने अचानक देश विदेश में एक हस्ती के रूप में अपनी पहचान बना ली और मुख्यमंत्री सहित कई राजनीतिक हस्तियों को लोगों के घोर विरोध और आक्रोश के बीच जुआफर आने के लिए मजबूर कर दिया। परवीन आजाद को खूब रुपया भी मिला और लोगों की भावनाओं का सहारा भी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट का नाम लेकर उन्होंने एक ऐसी नई चाल चली हैं जो लोगों को यह सोचने पर विवश कर रहा है कि परवीन आजाद अपने पति की लाश पर कहीं राजनीति की रोटी तो नहीं सेक रहीं हैं? क्योंकि अपने परिवार के 8 सदस्यों को सरकारी नौकरी की मांग कर चुकीं परवीन ने दो सरकारी नौकरी को स्वीकार कर चुप्पी साध ली और कभी खुद को डिप्टी एसपी से कमतर की नौकरी को ठोकर मारने वाली इस परवीन ने ओएसडी की नौकरी पर रजामंदी दिखाकर खुद को क्या साबित करना चाहा?

अब कल अर्थात गुरुवार को शहर के एक पत्रकार के आवास पर अपने लाव लश्कर के साथ पहुंची परवीन ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान ने कहा कि वे अन्तिम सांस तक अपने पति व एक अच्छे पुलिस अधिकारी की नृशंसतापूर्वक किए गए हत्या के मामले में दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए हर त्याग करने के लिए तैयार हैं। ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति किसी खाकी वाले पर आक्रमण न कर सके। भले ही इसके लिए उन्हें पुलिस की नौकरी छोड़कर किसी राजनीतिक दल का दामन ही क्यों न थामना पड़े। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें महसूस हुआ कि उनको न्याय नहीं मिल रहा है तो वे न्याय यात्रा भी निकालेंगी। हांलाकि इस बाबत जब कुछ पत्रकारों ने उन्हें यह याद दिलाया कि वे अब उत्तर प्रदेश पुलिस की एक अधिकारी हैं और उन्हें अब कोई भी बात सोच समझ कर और पुलिस आचरण नियमावली का पालने करते हुए कहनी चाहिए, लेकिन परवीन आजाद ने इस तरफ कत्तई तवज्जों नही दिया और वे अपनी रौ में कभी खुद को आम नागरिक तो कभी झांसी की रानी साबित करने की कोशिश में लगी रही।

परवीन आजाद ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान कई बार अपनी पति की लाश के जख्मों की याद दिलाकर पत्रकारों को द्रवित करने का भरपूर कोशिश करते हुए कहा कि उन्होंने एक डाक्टर होने के नाते अपने पति के जख्मों को देखने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची की भीड़ उनकी हत्या कत्तई नहीं कर सकती है। हांलाकि बाद में उन्होंने खुद ही स्पष्ट किया कि वे दांत की डाक्टरी की अभी पढ़ाई कर रही हैं। पत्रकारों द्वारा पूछे गए इस प्रश्न का उन्होंने कोई सीधा उत्तर नहीं दिया कि यदि सीबीआई अपनी जांच रिपोर्ट में राजा भैया को दोषी नहीं ठहराती है तो वे क्या करेंगी? उन्होंने एक मजे हुए एक राजनीतिक खिलाड़ी की तरह जबाब दिया कि यह उस समय की स्थितियों और परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।

परवीन आजाद ने जुआफर से लखनऊ जाते वक्त ससुराल वालों के विरोध के बावजूद भी शादी में मिले दहेज में बोलेरो जीप को ससुराल में नहीं छोड़ा बल्कि यह कहकर कि यह गाड़ी उनके पिता बाबू आजाद ने शादी में दहेज दिया था, उस पर परवीन का हक है न कि ससुराल वालों का। परवीन आजाद ने जुआफर गांव में 4 मार्च को हुए हंगामें और विरोध के मद्देनजर सम्भवतः इलेक्ट्रनिक मीडिया वालों से उनके द्वारा कैमरे में रिकार्ड किए गए कुछ वीडियो की क्लीपिंग व उसकी कापी भी एक सीडी में कैद कर अपने साथ लेती गईं। परवीन के साथ उनके पिता बाबू आजाद भी साथ में थे, लेकिन उन्होंने किसी भी मुद्दे पर कुछ भी बोलने से साफ इन्कार कर दिया। जबकि परवीन के साथ उनके ससुराल का कोई सदस्य यहां नजर नहीं आया। हां अलबत्ता पता नहीं किस वजह से जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से मिलीं और उनसे कुछ वार्ता भी किया।

फिलहाल अगर इस मामले में शुरू से हुए घटनाक्रमों पर नजर दौड़ाई जाए तो तस्वीर धीरे धीरे साफ होने लगती है कि शहीद की शहादत का भरपूर लाभ उठाने में परवीन ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। अब यह देखना बड़ा ही दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में परवीन कब कौन सा कदम उठाएगीं।

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