उत्तराखंड के ऋषिकेश शहर के होटल नीरज भवन में भारतीय भाषाई समाचर पत्र संगठन इलना की 71वीं वार्षिक आम बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में देश के विभिन्न राज्यों से आए तकरीबन 90 सदस्यों ने हिस्सा लिया. इलना की वार्षिक बैठक के संचालन का काम उपाध्यक्ष रवि कुमार बिशनोई ने शुरू किया. इसी बीच इलना के वरिष्ठ सदस्य अशोक नवरत्न ने एक प्रस्ताव तैयार किया, जिस में इलना के वर्तमान अध्यक्ष परेश नाथ को पुनः इलना का अध्यक्ष चुने जाने की बात कही गई.
अध्यक्ष परेश नाथ ने इस प्रस्ताव का धन्यवाद दिया और कहा कि चुनाव इलना की संवैधानिक प्रक्रिया के तहत ही होगा. इस के बाद आमसभा की बैठक का काम शुरू हुआ और विजय बौंद्रिया को चुनाव अधिकारी बनाया गया. परेश नाथ ने इलना प्रकाशकों के हित में अपने पिछले कार्यकाल में किए गए कामों पर विस्तार से बातचीत की और आने वाली चुनौतियों के संबंध में भी अपनी राय पेश की. उन्होंने कहा, हमने अपने पिछले कार्यकाल में सरकार की गलत नीतियों का विरोध किया. इस में सब से खास पत्रिकाओं की रेलवे बुकिंग पर लिया जाने वाला रेलभाड़ा था. सरकार ने यह रेलभाड़ा कई गुना बढ़ा दिया था. हम ने अपने संगठन की ओर से इस का विरोध किया, जिसके फलस्वरूप रेल विभाग को हमारी बात माननी पड़ी और बढ़ा हुआ रेलभाड़ा कम करना पड़ा.
लोकतंत्र में अगर हम संगठित हो कर अपनी बात को सरकार के सामने रखते हैं, तो सरकार हमारी बात सुनने को मजबूर होती है. डीएवीपी का भेदभाव भी अब सहन नहीं किया जाएगा. डीएवीपी को अपने यहां रजिस्टर्ड सभी अखबारों को समान भाव से विज्ञापन देने चाहिए.
3 साल पहले तक इलना केवल 2-3 राज्यों तक ही सीमित थी, लेकिन अब यह पूरे देश के प्रकाशकों का एक प्रभावी संगठन बन गया है. इस के सदस्यों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस के बाद भी हमारे सामने चुनौतियां कम नहीं हैं. हमें एकजुट हो कर काम करना होगा. हमें इस संगठन को अखिल भारतीय ही नहीं, बल्कि राज्य और नगर स्तर पर भी प्रभावशाली बनाना होगा. अगर सभी सदस्य हफ्ते में एक से दो घंटे संगठन के काम में साथ दें, तो यह काम संभव हो सकता है.’
परेश नाथ ने कुछ आंकड़े पेश किए, जिन में दिखाया गया था कि सरकार अपने विज्ञापनों की बड़ी रकम अंगरेजी अखबारों को दे रही है, जो हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओं के प्रकाशकों के शोषण की जड़ है. डीएवीपी या दूसरी एजेंसी के भेदभाव को किसी भी कीमत पर बरदाश्त नहीं किया जाएगा. परेश नाथ ने रिकौगनाइज्ड एजेंसियों के बारे में प्रगति का ब्योरा दिया और आग्रह किया कि सभी विज्ञापन एजेंसियों को इन के दायरे में लाया जाए, ताकि ये राज्य सरकारों, जिला परिषदों, स्थानीय निकायों व व्यापारियों के विज्ञापनों का काम अधिकारिक तौर पर कर सकें.
परेश नाथ ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रैस रजिस्ट्रेशन औफ बुक्स एक्ट 1867 में जो संशोधन का प्रस्ताव है वह नितांत लोकतंत्र विरोधी है और यह संशोधन कानून तुरंत वापस लिया जाना चाहिए. उन्होंने मांग की कि डिक्लेरेशन केवल प्रैस रजिस्ट्रार या उस के राज्यों की राजधानियों में नियुक्त उप प्रैस रजिस्ट्रारों के सम्मुख फाइल करने का प्रावधान हो.
इलना वितरकों का पंजीकरण करने की योजना भी बनाना चाहती है ताकि प्रकाशक निश्ंिचत हो कर वितरकों से व्यवहार कर सकें. कोषाध्यक्ष ने बताया कि इलना का कोष बढ़ रहा है. इस बात से खुश हो कर सभी सदस्यों ने इच्छा जताई कि इस रकम का इस्तेमाल दिल्ली में इलना के भवन के लिए किया जाए. इस के तुरंत बाद इलना की दिल्ली इकाई ने 2 लाख रुपए सहायतार्थ देने की घोषणा भी कर दी.
कुछ जरूरी औपचारिकताओं के बाद परेश नाथ को एक स्वर में पुनः अध्यक्ष चुन लिया गया. सभा के दूसरे सत्र में अध्यक्ष परेश नाथ ने अपनी नई कार्यकारिणी की घोषणा भी कर दी. रवि कुमार बिश्नोई को उपाध्यक्ष, राजशेखर कोटी को उपाध्यक्ष (दक्षिण) और दीनबंधु चैधरी को उपाध्यक्ष (पश्चिम) घोषित किया गया. चंद्रकांत भावे को दोबारा कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया. जबकि विवेक गुप्ता (सांसद), प्रकाश पोहरे और अंकित बिश्नोई को महासचिव बनाया गया. अशोकन, एचएम शंकर, आईपी उन्यिाल और कुमार विजय को सहसचिव नियुक्त किया गया.
अब कार्यकारिणी में अनंत नाथ, कीर्ति खामर, गिरीश कुमार अग्रवाल, देवेंद्र कुमार शर्मा, दिगंबर गणपतराव गायकवाड़ और भारत भूषण श्रीवास्तव, टी. सुंदर रमन, नागन्ना एस., राजीव वशिष्ठ, ललित भारद्वाज, संजय गुप्ता, डीडी पालीवाल, कृष्ण नागपाल, रविंद्र कुमार और अशोक नवरत्न बतौर सदस्य हैं. परेश नाथ ने इलना को विस्तार देते हुए क्षेत्रीय कमेटियों की घोषणा की, जिस में ललित भारद्वाज को उत्तर प्रदेश, विजय शंक मिश्रा को भोपाल, एसएन अप्पादुरई को कोयंबटूर, रवि चमडि़या को पश्चिमी राजस्थान और विजय शर्मा को आगरा का संयोजग बनाया गया है. आम सभी के बाद होटल ‘नीरज भवन’ के खूबसूरत लौन में गढ़वाली लोकनृत्य का आयोजन भी किया गया, जहां सभी सदस्यों ने इस खूबसूरत आयोजन का लुत्फ उठाया.