नई दिल्ली : आस्था केंद्रों के सरोवरों की स्वच्छता का अभियान छेड़ने वाली स्वंयसेवी संस्था जलजोगिनी अब राजस्थान के पुष्कर और अजमेर शरीफ में जल स्वच्छता के लिए अभियान चलाएगी। जलजोगिनी के कामकाज के दायरे में दिल्ली और एनसीआर को प्रमुखता से शामिल किया जाएगा। जलजोगिनी के कामकाज का लेखाजोखा पेश करने और भावी दिशानिर्देश तय करने के लिए आयोजित सेमिनार में यह जानकारी जलजोगिनी के संस्थापक सचिव आलोक कुमार ने यह जानकारी दी। जलजोगिनी झारखंड के देवघर में शिवगंगा की स्वच्छता के लिए प्रभावी अभियान छेड़ चुकी है।

सेमिनार की शुरूआत अस्मिता थियेटर ग्रुप के नुक्कड नाटक से हुई। जिसमें पानी के प्रति संवेदनशीलता की जरूरत को विचारोत्तेक तरीके से पेश किया गया। मुख्य वक्ता के तौर पर इंडिया टुडे के प्रबंध संपादक दिलीप मंडल ने कहा कि अगर अगला विश्वयुद्ध जल को लेकर होने की बात सही है, तो उससे बचने का एकमात्र विकल्प सामुदायिक प्रयास से जल की स्वच्छता बचाने का प्रयास करना जरूरी है। यह काम जलजोगिनी जैसी संस्था की जागरुकता मुहिम से संभव होता नजर आ रहा है। उन्होंने जल का बाजारीकरण करने के बजाए समाजीकरण की जरूरत जताई।
राज्यसभा टीवी के अरविंद कुमार सिंह ने अपने विशद पत्रकारीय अनुभव के हवाले से बताया कि ग्रामीणों के बीच जल की अहमियत शहरी आबादी से ज्यादा है। उन्होंने राजस्थान की महिलाओं में पति से ज्यादा गगरी को सम्हालकर रखने की उक्तियों का हवाला दिया। उन्होंने नदियों की बर्बादी के लिए अदूरदर्शी सरकारी नीतियों को कसूरवार ठहराया। साथ ही पानी की स्वच्छता की गंभीर समस्या से निपटने के लिए जलजोगिनी की तरह और अन्य लोगों से भी आगे आने की जरूरत जाहिर की।
केंद्रीय जल आयोग के मुख्य अभियंता आरके जैन ने राष्ट्रीय जल नीति के हवाले से बताया कि जल संरक्षण के प्रति सरकार गंभीर है। संरक्षण के प्रति जागरूकता अभियान को प्रभावी तरीके से जोड़ने की जरूरत है। केंद्रीय जल आयोग के नीति निर्धारकों में शामिल निदेशक आशीष बनर्जी ने बताया कि जलजोगिनी का काम सरकार के कई कार्यक्रमों के सांचे में फिट बैठता है। जलजोगिनी को चाहिए कि अपने अभियान को मूर्तरुप देने में वह सरकार का सहयोग ले। उन्होंने बताया कि जल राज्य का विषय है इसलिए राज्य सरकार से संपर्क करना चाहिए।

गंगा-यमुना को प्रदूषण से बचाने के लिए नुक्कड़ नाटकों के जरिए अलख जगा रहे 'परिधि आर्ट ग्रुप' के अध्यक्ष निर्मल वैद्य ने बताया कि उनका जागरुकता अभियान ढाई लाख परिवारों को प्रभावित कर चुका है। उन्होंने विश्वास जताया कि इन परिवारों के बच्चे समर्पित होकर गंगा व यमुना को बचाने में लगेंगे और पूरा भरोसा है कि सूरत बदल जाएगी। उन्होने अपनी संस्था को जलजोगिनी के भावी जागरुकता कार्यक्रमों के साथ जोड़ने का ऐलान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के कार्यकारी निदेशक एन सत्यनारायण ने की। उन्होंने कहा कि चौबीस घंटे में आम इंसान का पानी से जो वास्ता पड़ता है उसमें सावधानी बरतकर वह दुनिया की बड़ी सेवा कर सकता है। गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित सेमिनार में पत्रकारिता और सामाजिक क्षेत्र के कई गणमान्य हस्तियों ने अपने विचार रखे।

सेमिनार में युवा पत्रकार मयंक सक्सेना ने केदार घाटी आपदा के दौरान किए कार्य का उल्लेख किया। कार्यक्रम का संचालन जलजोगिनी की डॉ आरफा राजपूत ने किया। सेमिनार में झारखंड के मुख्यमंत्री राजनीतिक सलाहकार हिमांशु चौधरी, जैविक खेती अभियान संस्थापक श्री क्रांति प्रकाश, पत्रकार कुमार गिरीश, आशा मोहिनी, उमेश चतुर्वेदी, जलजोगिनी के विकास कुमार सिंह व समाजसेवी आशुतोष झा आदि मौजूद रहे।
प्रेस विज्ञप्ति