पत्रिका के भोपाल एडिशन की हालत दिनोदिन ख़राब होती जा रही है, सर्कुलेशन के लगातार गिरने से मैनेजमेंट खासा परेशान है. परेशानी की मुख्य वजह दैनिक भास्कर द्वारा पत्रिका की खरीदी करना है. याद रहे कि भोपाल में दैनिक भास्कर का मुख्यालय है तथा समूह के चैयरमेन रमेश अग्रवाल तथा एमडी सुधीर अग्रवाल वहीँ अधिक समय रहते हैं. बताते हैं कि रमेश अग्रवाल का सर्कुलेशन के क्षेत्र में कोई सानी नहीं है, उन्हीं के दिमाग की उपज है कि एमपी व सीजी में पत्रिका की प्रतियाँ खरीद कर पत्रिका समूह को चौतरफा नुकसान पहुँचाया जाये.
इस बीच दैनिक जागरण समूह ने भी नई दुनिया खरीद कर एमपी व सीजी में आमद दे दी. भास्कर समूह से लड़ाई लड़ रहे पत्रिका को अब इस समूह से भी लड़ना पड़ रहा है. सूत्र बताते हैं कि जागरण की हलचल होते ही पत्रिका ने भोपाल में अपने अखबार के साथ एक्सपोज़ का प्रकाशन शुरू किया और अखबार का मूल्य 80 /- रुपये कर दिया, जिन ग्राहकों को एक्सपोज़ नहीं चाहिए उन्हें 60 /- रुपये में ही पत्रिका मिलेगा. एजेंटों के ऊपर दबाव डाला जा रहा है कि उन्हें एक्सपोज़ की प्रतियाँ अधिक बेचनी हैं, जिससे वो हैरान परेशान हैं. कई एजेंटों ने तो चार – चार माह से पत्रिका को पेमेंट ही नहीं किया है.
उधर, पत्रिका के भोपाल मैनेजमेंट की तानाशाही और सर्कुलेशन में काम करने वाले लोगों के दबाव के चलते भोपाल पत्रिका के सबसे बड़े एजेंट मनोज वाणी ने एक पत्र मेल द्वारा भेज कर तुरंत एजेंसी छोड़ने का निर्णय ले लिया. मनोज वाणी के पास पत्रिका के पाँच सेंटरों पर तकरीबन पचास हज़ार कॉपी थी. अब पत्रिका मैनेजमेंट एजेंटों की तलाश में घूम रहा है, लेकिन कोई भी हाथ रखने को तैयार नहीं है. मनोज वाणी ने अपनी व्यथा पत्रिका के एमडी निहार कोठारी को लिख कर भेजी है.