नई दिल्ली : दिल्ली के प्रसिद्ध कला केन्द्र अक्षरा थिएटर में बीते दिनों राजनीतिक-सामाजिक विषयों पर आधारित व्यंग्य संग्रह 'जुतभाषा का ज़माना' का विमोचन किया गया। युवा लेखक प्रवीण जैन के इस समसामायिक व्यंग्य संग्रह का विमोचन 'हिन्द युग्म' प्रकाशन के संस्थापक एवं संचालक शैलेष भारतवासी तथा 'बम संकर टन गनेस' के लेखक राकेश कुमार सिंह ने किया।
'जुतभाषा का ज़़माना' के लेखक प्रवीण जैन एक सक्रिय रंगकर्मी भी हैं। पुस्तक विमोचन में एक अभिनव प्रयोग करते हुए उन्होंने संग्रह के पाँच लेखों की नाट्य प्रस्तुति करके पुस्तक का प्रभावपूर्ण परिचय दिया। स्वयं लेखक के द्वारा निर्देशित इस व्यंग्य कोलाज को विमोचन के पूर्व प्रस्तुत किया गया। सभागार में उपस्थित दर्शकों ने 'नेताजी और पिताजी' तथा 'भ्रष्टाचार लीगल है' शीर्षक के व्यंग्यों की विशेष सराहना की।
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