कभी कभी एक शब्द की हेराफेरी पूरे अर्थ का अनर्थ कर देता है. नवभारत टाइम्स के वेबसाइट पर भी ऐसा ही एक कारनामा देखने को मिला है. दबाव और प्रतिस्पर्धा ने पत्रकारों के काम पर भी प्रभाव डाला है. मीडिया में कम पैसा और तनाव-दबाव ज्यादा होने के चलते प्रतिभाशाली लोग कम ही आ पाते हैं, लिहाजा औसत दर्जे के लोगों से काम चलाना पड़ता है. इसका असर यह होता है कि अक्सर अर्थ का अनर्थ होता रहता है.
नवभारत टाइम्स की वेबसाइट पर फरीदाबाद से एक खबर ने स्थिति को हास्यापद बना दिया है. फरीदाबाद को स्लम फ्री बनाने की नगर निगम की एक योजना पर खबर लिखी गई है. खबर तो ठीक है, पर हेडिंग ने सारे खबर की ऐसी की तैसी कर डाली है. हेडिंग में लिखा गया है कि 'शहर को स्लम बनाने के लिए प्रोजेक्ट रेडी'. इससे पूरे खबर का सार ही बदल गया है. साथ ही लोग चुटकी भी ले रहे हैं कि शहर ही नहीं एनबीटी को वेबसाइट को भी स्लम बनाया जा रहा है, जहां दुनिया भर के कूड़ा करकट इकट्ठा हो रहे हैं. नीचे एनबीटी की खबर..