महाराजगंज। भारत नेपाल की सीमा पर बसा क़स्बा ठूठीबारी जंहा एक से बढ़ कर एक प्रतिभाएं आए दिन उजागर ही होती रहती हैं। उन्हीं में से एक नाम कई ओमकार की, जिन्होंने भोजपुरी फिल्म जगत को एक नए अंजाम तक पहुचाया। गंगा की बेटी से लगायत अनेक भोजपुरी व हिंदी फ़िल्मों के साथ नेपाली फ़िल्मों में अपने मधुर संगीत को देकर हम लोगों को अलविदा कह चुके स्वर्गीय ओमकार की पहली पुण्य तिथि आज है। जिसमें देश के नामी गिरामी हस्ती शामिल हुए।
'करवट फेरे हो बलमुआ तू हमरी ओरिया से' गीत से प्रसिद्धी पाए भोजपुरी फिल्म के संगीतकार अब इस दुनिया में नहीं रहे। 2 फ़रवरी सन 2012 को उनका दिल का दौरा पड़ने के बाद वे हमलोगों को सदा के लिए अलविदा कह गए। पर आज भी वे भोजपुरी फिल्म में बतौर संगीतकार हमें याद आते हैं। एक छोटे से कस्बे से निकाल कर इस प्रकार की ख्याति पाना बेहद ही मुश्किल काम था, पर जिस प्रकार से उन्होंने ठूठीबारी का नाम उजागर किया वह काबिले तारीफ़ है। जब तक सूरज चाँद रहेगा …. का संगीत आज भी हम सभी के दिलो दिमाग पर छाया हुआ है। स्वर्गीय ओमकार को भूल पाना शायद ही किसी किसी हिन्दुस्तानी व नेपाली के लिए आसान नहीं होगा। स्वर्गीय ओमकार ने अपने पीछे अपनी बीबी सहित दो बेटों उज्जवल सिंह व निर्मल सिंह को छोड़ गए। आज उनकी पहली पुण्य तिथि है, जिसमें नामी गिनामी लोग शिरकत कर रहे हैं। फिल्म जगत में उन्होंने आशा भोशले, लता मंगेशकर, उदित नारायण, अल्का याग्निक जैसे गायकों को अपने धुन का दीवाना बनाया था।
महराजगंज से ज्ञानेंद्र त्रिपाठी की रिपोर्ट.